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सब बाहरका मर्यादित हो जाता है। वह एकत्वबुद्धि तन्यमतासे वह नहीं करता है, उसका रस, रुचि टूट जाता है। उसे आत्माकी ही रुचि लगती है कि ये कुछकरने जैसा नहीं है। उसे उपादेय नहीं लगता है। आत्माको ही अंगीकार करना, ऐसी उसकी अंतरकी रुचि बदल जाती है।
इसलिये पहले मुख्य सम्यग्दर्शन आत्माकी स्वानुभूति हो तो उसमें यथार्थ चारित्र आता है। और वह चारित्र, सच्चा मुनिपना और सच्चा केवलज्ञान उसमेंसे प्रगट होता है। बाह्य क्रिया तो बहुत बार की है। अनन्त कालमें ऐसे वेष धारण कर लिया। अभी देखो तो त्याग लेकर बहुत लोग नीकल पडते हैं। परन्तु अंतरमें आत्माको पहचाने बिना मात्र बाह्य क्रिया, मात्र शास्त्रसे बोले। अभी जो बोलते हैं, आत्मा कैसे प्राप्त हो? उसकी सब बातें चलती हैं। और शास्त्रकी वह बातें करता है। अंतरमें करना (है)। क्योंकि सम्यग्दर्शन प्राप्त करना वह भी दुर्लभ है। इसलिये उसका पुरुषार्थ करनेके लिये उसकी भावना, उसका पुरुषार्थ, उसकी लगन और अंतरमें सब उसे निःसार लगे। सारभूत आत्मा है। रुचि पलट जाती है।
अंतरमेंसे उसे त्याग हो जाता है। अंतरका त्याग। फिर बाहरका त्याग आते-आते वह तो उसका जैसा पुरुषार्थ हो, वैसा हो। सम्यग्दर्शन जिसे प्राप्त हो, उसमें किसीको तुरन्त चारित्र आ जाय, किसीको देर लगे। कोई चक्रवर्ती गृहस्थाश्रममें हो उसे बाहरसे चारित्र न हो तो चारित्र आनेमें देर लगे। परन्तु अंतरमेंसे भिन्न ही होते हैं। फिर चारित्र आये तब छोडकर चले जाते हैं। अंतरमेंसे स्वानुभूतिकी दशा ऐसी प्राप्त हो जाय कि सब छूट जाता है। ऐसा होता है। और वह सच्चा मुनिपना है।
ऐसा तो चक्रवर्ती छोडकर चले जाते हैं, तीर्थंकर छोडकर चले जाते हैं। परन्तु वह अंतरका चारित्र आता है कि जिससे भवका अभाव होता है। बाह्य त्यागसे तो क्या? ऐसे शुभभाव तो बहुत बार किया है और पुण्यबन्ध हुआ और देवलोकमें गया। उससे भवका अभाव नहीं होता। इसलिये गुरुदेवने मुख्य मार्ग बताया है कि भवका अभाव कैसे हो?
मुमुक्षुः- बहिनश्री! गुरुदेव, आप कदाचित आप दो ही व्यक्ति ऐसी हैं कि जिन्होंने कुछ सिद्धि की है। तो वर्तमानमें जितने भी लोग इस विषयको मानते हैं, उसमेंसे दूसरे लोगोंको असर होनी चाहिये। लोहेमेंसे पारसमणि होना चाहिये। उस दृष्टिसे अपने विचार करे तो अभी जो असर हुयी है, उस विषयमें आपके क्या विचार हैं? इसकी असर, विचारणा,... धर्म है वह विचारणा है, और यह विचारणा जो महाराज साहबने की है, उसकी असर अन्दर ऊतरकर समाजमें देखें तो कोई खास विशेष हुयी हो ऐसा आपको लगता है? क्योंकि... मिलते होंगे।