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नहीं तो उसे आत्मा कैसे कहे? कार्य करे तो आत्मा। इसलिये कार्यरूप परिणमा वह आत्मा है, ऐसा कहते हैं। कार्यरूप परिणमा तब सच्चा आत्मा है। आनन्दरूप परिणमे वह आत्मा। आत्माकी दृष्टि करे तो ही परिणमे। ध्रुवकी दृष्टि करे तो ही कार्य होता है। ज्ञायक पर दृष्टि करे तो ही कार्य होता है।
... बातमें पूरा वस्तुका स्वरूप आ जाता है। पर्यायमें आत्मा खोजने जाय तो ऐसे नहीं मिलता। आत्माको द्रव्यमें खोजे तो ही मिलता है। उसका यथार्थ स्वरूप जब वेदन हो तब मालूम पडे। सच्चे आत्माका स्वरूप। .. करे तो ही आत्मा ग्रहण हो। ज्ञान करनेका है। .. उसे समझाते हैं।
मुमुक्षुः- ..
समाधानः- द्रव्य-गुणसे समान।
मुमुक्षुः- द्रव्य-गुणमें समानता है, ऐसे लेना है।
समाधानः- द्रव्य-गुणसे समान है। आत्माका स्वरूप द्रव्य-गुण-पर्याय.. भगवानने तो प्रगट पर्याय की है। ये तो प्रगट नहीं है। प्रगटतामें समान नहीं है। शक्तिरूपसे समान है। प्रगटतामें वेदनमें समान नहीं है। शक्तिमें समान है। पारिणामिकभावसे समान है। द्रव्य और गुणरूपसे समान है। पर्यायकी प्रगटतारूपसे समान नहीं है। परन्तु द्रव्य पर दृष्टि करके आगे जाना है। द्रव्य पर दृष्टि कर। भगवानका आत्मा वैसा ही तेरा आत्मा है। इसलिये जैसे भगवान हैं, वैसा ही तू है। इसलिये द्रव्य पर दृष्टि कर तो साधनाकी पर्याय उसीमेंं प्रगट होगी। शुद्धात्माकी पर्याय।
द्रव्य अपेक्षासे समान ही है। उसमें कुछ फर्क नहीं है। द्रव्य तू स्वयं ही है। द्रव्यमें कुछ फेरफार नहीं हुआ है। इसलिये द्रव्यको पहचान ले और दृष्टिको द्रव्य पर स्थापित कर दे। तो जैसे भगवान हैं, वैसा तू प्रगटमें भी हो सकेगा। इसलिये मूल वस्तु जैसी भगवानकी है ऐसी ही तेरी है। तेरे पास सब पडा है। इसलिये तू उसमें दृष्टिको स्थापित कर दे, तो भगवान जैसा प्रगटरमें हो जायगा। शक्तिरूपसे तो तू भगवान जैसा ही है। शक्तिमें जैसे भगवान हैं, वैसा ही तू है। इसलिये तू तेरे पर दृष्टि कर।
मुमुक्षुः- .. समान है, उस अपेक्षासे निश्चयसे समान है।
समाधानः- उस अपेक्षासे समान है। कहीं बाहर लेने जाना पडे ऐसा नहीं है। जैसे भगवान हैं, वैसा ही तू है। तेरेमेंसे ही प्रगट हो ऐसा है। जैसा भगवानका आत्मा, वैसा ही तेरा आत्मा है। इसलिये तू उसमें साधना कर, उसमें दृष्टि स्थापित कर तो प्रगट हो, वेदनमें आये।
(जो भगवानको जाने वह) स्वयंको जाने, स्वयंको जाने वह भगवानको जानता है। जैसे भगवान हैं, वैसा ही तू है। सर्व प्रकारसे प्रगटतामें समान हो तो साधना