જ્ઞાન ઉપયોગ જુદો લક્ષમાં આવે તો લક્ષ પકડવામાં વાર ન લાગે કે આ ‘ત્રિકાળ છે તે જ હું છું’ 0 Play ज्ञान उपयोग जुदो लक्षमां आवे तो लक्ष पकडवामां वार न लागे के आ ‘त्रिकाळ छे ते ज हुं छुं’ 0 Play
ભિન્નતાના પ્રયોગમાં શરીરથી ભિન્નતાનો પ્રયોગ કયાંય આવતો નથી ? 0:50 Play भिन्नताना प्रयोगमां शरीरथी भिन्नतानो प्रयोग कयांय आवतो नथी ? 0:50 Play
.... મતિજ્ઞાન-શ્રુતજ્ઞાન તે બહિરંગ અને ‘જાણપણું- જાણપણું ’તે અંતરંગ તેવા જાણપણા પરથી આ જાણનાર તે ‘હું’ એવું કંઈક શાસ્ત્રમાં આવે છે? 3:55 Play .... मतिज्ञान-श्रुतज्ञान ते बहिरंग अने ‘जाणपणुं- जाणपणुं ’ते अंतरंग तेवा जाणपणा परथी आ जाणनार ते ‘हुं’ एवुं कंईक शास्त्रमां आवे छे? 3:55 Play
શાસ્ત્રમાં આવે છે કે ઇન્દ્રિયજ્ઞાન છે તે પરપ્રકાશક છે તે આત્માનું લક્ષણ નથી...... તે વિષે પ્રશ્ન છે 6:55 Play शास्त्रमां आवे छे के इन्द्रियज्ञान छे ते परप्रकाशक छे ते आत्मानुं लक्षण नथी...... ते विषे प्रश्न छे 6:55 Play
(સમયસાર ગાથા ૨૯૭માં) પ્રજ્ઞાથી કઈ રીતે ગ્રહણ કરવો? ‘તેમાં હું, મારાથી, મારાવડે, મને જાણું છું’ તે વિષે.... 11:10 Play (समयसार गाथा २९७मां) प्रज्ञाथी कई रीते ग्रहण करवो? ‘तेमां हुं, माराथी, मारावडे, मने जाणुं छुं’ ते विषे.... 11:10 Play
પૂજ્ય ગુરુદેવશ્રીએ કહ્યું તેને યાદ કરવું, તેની લગની લગાડવી વગેરે.... 16:50 Play पूज्य गुरुदेवश्रीए कह्युं तेने याद करवुं, तेनी लगनी लगाडवी वगेरे.... 16:50 Play
मुमुक्षुः- ज्ञानउपयोग भिन्न लक्ष्यमें आये, ख्यालमें आये तो फिर लक्ष्यको पकडनेमेंदेर न लगे। ऐसा त्रिकाल जो है वह मैं हूँ।
समाधानः- उपयोग भिन्न पडे और स्वयंको पकडमें आये वह सब साथमें हीहोता है। परन्तु यथार्थ ग्रहण हो तो अपना अस्तित्व और उपयोग आदि सब उसे पकडमें आ जाता है। परन्तु यथार्थपने उसे सूक्ष्मतासे ग्रहण हो तो सब साथमें हो जाता है।
मुमुक्षुः- .. लक्षण और लक्ष्य साथमें..
समाधानः- साथ ही ग्रहण हो जाता है। इसलिये वह करनेका निश्चय करे तो कर सकता है।
मुमुक्षुः- भिन्नताके प्रयोगमें शरीरसे भिन्नताका प्रयोग तो कहीं नहीं आता है।
समाधानः- विभावसे भिन्न, उसमें शरीरकी भिन्नता साथमें आ जाती है। वह तो उसका क्रम लिया है कि पहले शरीरसे मैं भिन्न हूँ, वह तो.. शरीरको अपना माननेवाला एकदम स्थूल उपयोग है। इसलिये शरीरसे भिन्न मान। उसका क्रम प्रथम इससे भिन्नता कर, फिर इससे भिन्नता कर। शरीरको स्वयं एक मानता है, उसे ऐसा कहते हैं कि तू शरीरसे भिन्न है। शरीरसे भिन्न ग्रहण कर और फिर विकल्पसे भिन्न