१० एक-एक विकल्पको जाननेवाला पर्यायें हुयी, परन्तु मैं एक अखण्ड ज्ञायक शाश्वत हूँ। ऐसे अखण्ड द्रव्यको ग्रहण करना। जो मालूम पडता है, उस परसे उसका पूर्ण अस्तित्व ग्रहण करना।
मुुमुक्षुः- जो मालूम पडता है वह पदार्थ मैं हूँ। समाधानः- हाँ, जो मालूम पड रहा है, वह पदार्थ मैं हूँ। जो खबर करनेवाला है वह मूल वस्तु अनादिअनन्त स्वतःसिद्ध मैं हूँ। जो शुभाशुभ भावोंको जाननेवाला है, वह खबर करनेवाला है, उसका जो मूल शाश्वत अस्तित्व है वह मैं हूँ। वह अस्तित्व पूर्ण ज्ञायक है। उस ज्ञायकमें अनन्त शक्तियाँ भरी हैैं।
मुमुक्षुः- मालूम पडनेमें अस्तित्व मालूम पडता है, बाकी दूसरे गुण इतने मालूम नहीं पडते हैैं कि दूसरे-दूसरे गुण है, उसका उतना ख्याल नहीं आता है। मालूम पडता है इसलिये .. ज्ञात होता है। परन्तु दूसरे भी अनन्त गुण हैं, वह मालूम नहीं पडते।
समाधानः- वह दिखाई नहीं देते हैैं। परन्तु जो शक्तिवान पदार्थ है, जो ज्ञायक है वह अनन्त शक्तिसे भरपूर हो। जो द्रव्य हो वह खाली नहीं होता, उसमें अनन्त गुण ही होते हैं। द्रव्य उसका नाम कहें कि जिसमें अनन्त शक्तियाँ हो। जिसमें अमर्यादित वस्तु है, चाहे जितना परिणमे तो भी खत्म न हो, ऐसी अनन्ततासे भरा द्रव्य है। फिर उसके युक्ति, प्रमाणसे नक्की होता है।
मुमुक्षुः- शान्तिका तो ख्याल आता है कि जब अन्दर जाते हैं तब सुख लगता है, बाहरमें .. उतना मालूम पडता है। शान्ति मालूम पडती है कि अन्दर जाते हैं तो थोडी..
समाधानः- शान्ति लगती है। अनन्त गुण तो दिखाई नहीं देते, परन्तु वह अनन्त शक्तिवान पदार्थ है। जिसमेंसे जो अनन्त पर्याय (होती है)। ज्ञान है वह अधूरा नहीं होता। जो स्वतः ज्ञान, स्वयं स्वतःसिद्ध वस्तु है, वह वस्तु अनादिअनन्त है। उस ज्ञानकी कोई मर्यादा नहीं होती। ऐसा ज्ञान अमर्यादित है। इसलिये अमर्यादित ज्ञान हो वह अनन्त शक्तिसे भरा हुआ ज्ञान है। ऐसे उसमें अस्तित्व, वस्तुत्व आदि अनन्त गुण हैं। वैसे उसमें आनन्दगुण है। वह भी अनन्तासे भरा है। इस तरह द्रव्य अनन्त-अनन्त शक्तिओंसे भरा है। वह दिखता नहीं है, वेदनमें नहीं आता है, परन्तु उसका अनुमान हो सकता है। और वह युक्ति ऐसी होती है कि यथार्थ होती है। वह स्वयं नक्की कर सकता है।
मुमुक्षुः- अस्तित्वका भी ख्याल आता है कि मेरी मौजूदगी है। ... उसका ख्याल आये, अस्तित्वका ख्याल आये।
समाधानः- अस्तित्व, परन्तु वह अस्तित्व अनन्ततासे भरा है। ऐसा स्वयं नक्की