Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi). Track: 23.

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ट्रेक-

०२३

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ट्रेक-०२३ (audio) (View topics)

समाधानः- ... जुड रहा है, इसलिये यह सब हो रहा है। परन्तु निश्चयसे वस्तु स्वभावसे जैसे सिद्ध भगवान हैं, वैसे ही सबका आत्मा है। कोई फर्क ही नहीं है।

मुमुक्षुः- पर्यायका पहलु अत्यंत गौण रहता है।

समाधानः- पर्यायको गौण करके द्रव्यदृष्टिके बलमें आचार्यदेव बोल रहे हैं। द्रव्यदृष्टिज्ञके बलमें, आत्माको पहचानना हो तो द्रव्यदृष्टिसे द्रव्यसे-द्रव्य स्वरूपसे आत्मा वैसा ही है। द्रव्य स्वरूपसे प्रत्येक आत्मा वैसे ही हैं। द्रव्यदृष्टिके बलमें पर्याय गौण हो जाती है। सिद्ध भगवान जैसे ही सब आत्मा हैं। किस नयसे, कुछ फर्क नहीं दिखाई देता। तत्त्वके अन्दर तत्त्व दृष्टिसे देखता हूँ, तत्त्वमें कोई आत्मामें कुछ फर्क नहीं है। पर्यायको गौण कर दी है। पर्याय है ही नहीं, लेकिन उसे गौण कर दी है।

अनादिसे अशुद्ध जीव तो मानता ही आया है, शुद्ध स्वरूप स्वयंका पहचाना नहीं, शुद्ध स्वरूपको पहचाने तो आगे जाता है। लेकिन शुद्ध स्वरूप उस प्रकारसे पहचाने कि उसमें पर्याय और द्रव्य दोनोंको जाने, लेकिन बल द्रव्यदृष्टिका आता है। पर्यायमें भी अशुद्धता नहीं है वैसा अर्थ वहाँ नहीं है।

मुमुक्षुः- पर्यायमें अशुद्धता है तो फिर उसे भ्रान्ति क्यों कहा?

समाधानः- भ्रान्ति यानी जूठा है, ऐसा अर्थ नहीं है। अशुद्धता है वह उसकी भ्रान्ति यानी मेरा आत्मा पर स्वरूप हो गया और मैं पर स्वरूप हो गया, वह भ्रान्ति है, वह तो भ्रान्ति ही है न। वस्तु स्वरूप जैसा है वैसा मानता नहीं है और जूठी रीतसे मानता है तो भ्रान्ति है। भ्रान्ति है वह अशुद्धता है। भ्रान्ति यानी ये सब एकान्त है, शुद्ध है बाकी सब माया है, ऐसा उसका अर्थ नहीं है। ऐसा नहीं है। भ्रान्ति भी अशुद्धता है। भ्रान्तिके कारण सब अशुद्धता, अस्थिरता और जूठा मान ले कि कुछ नहीं है यानी पर्यायमें अशुद्धता... ऐसा जूठा स्वरूप मान लिया है इसलिये भ्रान्ति है। द्रव्य जैसा है वैसा नहीं मानता, यह उसकी भ्रान्ति है। मानो मेरा द्रव्य पर रूप हो गया, मानो पर मुझमें आ गये। वह सब जूठा है। वस्तु स्वरूपसे विपरीत माने इसलिये वह भ्रान्ति है। वस्तुको यथार्थ माने बिना मुक्तिका मार्ग प्रारंभ नहीं होता। द्रव्य जैसा है वैसा, पर्याय जैसी है वैसी (माने)।