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ज्ञायक आत्मा अंतर ज्ञान और आनन्दसे भरा है, उसे पहचानो, उसमें दृष्टि करो, उसमें लीनता करो। जो कहा है वह करनेका है। वह न हो तबतक उसका विचार, वांचन, मनन, उसकी लगन सब वही करनेका है। बाहर शुभभाव आये तो देव-गुरु- शास्त्रकी महिमा आदि। अंतरमें ध्येय एक आत्माका कि आत्मा कैसे पहचानमें आये? आत्माका भेदज्ञान कैसे हो? वह करनेका है। आत्मा अंतरमें निर्विकल्प तत्त्व है, उसे कैसे पहचाना जाय? स्वानुभूति कैसे प्रगट हो? बहुत लोग आफ्रिकामें बहुत हैं न?
मुमुक्षुः- हाँ, हमारे ज्यादा ... आफ्रिकामें हैं। पहले हमारे पासे स्वाध्याय होल नहीं था, कुछ नहीं था। मकानमें बैठकर स्वाध्याय करते थे, बस। फिर यह सब हो गया। गुरुदेवने सभी पर करुणा बरसाकर लाभ दे रहे हैं। इस उम्रमें, ९० सालकी उम्रमें।
समाधानः- सब पर करुणा बरसायी।
मुमुक्षुः- एक महिना नाईरोबीमें जयकार, चारों ओर बस्तीमें उल्लास, उल्लास, उल्लास।
समाधानः- कहाँ आफ्रिका, वहाँ गुरुदेव पधारे वह तो बहुत लाभका कारण हुआ।
मुमुक्षुः- ... बात करते थे। सहज-सहज सत्यमें आ गये, बहुत अभिनंदन। जेठाभाई कहे तो ही हो, न कहे तो ...
समाधानः- हाँ। उनका..
मुमुक्षुः- जेठाभाई हैं और उनकी हाँ है तो ही...
समाधानः- .. आत्माके लिये है।
मुमुक्षुः- एक-एक जगह, एक-एक घरमें...
मुमुक्षुः- यह क्षेत्र-भूमि है न, अपने लिये तो .. भूमि है। गुरुदेवने सबको बताया है।
समाधानः- .. सम्बन्ध होता है न। महापुरुषोंकी भूमि भी (ऐसी होती है कि) अन्दर आत्माके विचारोंकी स्फुरणा हो।
मुमुक्षुः- हम लोग जिस देशमें रहते हैं, उन लोगोंके विचार, गुजरातीओंके विचार भी हमारे जैसे सादा, सीधा, सरल। बहुत सरल विचार सबके। एक ही मतसे, एक ही विचारसे जो करना है करो। आफ्रिकामें कहाँ यह बात मिले? कहाँ मन्दिर बनाये? स्वाध्याय मन्दिर बनाये, .. बनाये। लेकिन समय समयका कार्य करता है।
मुमुक्षुः- मध्यस्थता, सरलता और जितेन्द्रियपना तत्त्व प्राप्त करनेका उत्तम पात्र है। मुमुक्षुः- ... सत साहित्य मिले, सत्य वाणी मिले, तत्त्वज्ञानकी बात मिले। परन्तु कुटुम्ब-परिवारका मोह है न।
समाधानः- जैसी अपनी तैयारी हो वैसे हो। जिज्ञासा तैयार करते रहना।
मुमुक्षुः- ... रहा करे कि हर साल वहाँ लाभ लेनेको जाना। लेकिन बहुत