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मुमुक्षुः- मुख्य करना, वह किसके साथ मिलान करके मुख्य करना? जो वेदनको मुख्य कहा, वैसे दृष्टि तो मुख्य है तो उसमें तो पर्यायके साथ मिलान करके कहें कि दृष्टि द्रव्य पर मुख्य है। तो अब, जो वेदनको मुख्य कहा, तो वह किसके साथ मिलान करके कहा?
समाधानः- उसे मुख्य कहा (क्योंकि), द्रव्य जो है वह वेदनमें नहीं आता है। इसलिये वेदनकी अपेक्षासे उसे मुख्य कहा। द्रव्य वेदनमें नहीं आता है, इसलिये वेदनकी अपेक्षासे मुख्य है।
मुमुक्षुः- क्योंकि द्रव्य वेदनमें आता नहीं।
समाधानः- द्रव्य वेदनमें नहीं आता है, इसलिये वेदनकी अपेक्षासे (उसे मुख्य कहा)। बाकी दृष्टि तो हर जगह साथ ही रहती है। द्रव्य वेदनमें नहीं आता है, इसलिये वेदनकी अपेक्षासे वह मुख्य है। आत्मा कब ज्ञात हुआ? आत्मा कब कहा जाय? कि वेदनमें आया तब। वेदनमें आया तब वास्तविक आत्मा। ऐसा कहनेमें आता है। केवलज्ञानरूप परिणमा तब। वास्तविक आत्मा कब कहलाया? कि जैसा है वैसा प्रगट हुआ तब। इसलिये वेदनकी अपेक्षासे उसे मुख्य कहनेमें आया। उस अपेक्षासे दृष्टिको गौण की। परन्तु दृष्टि तो साथमें मुख्य रहती है। वेदनकी अपेक्षासे दृष्टिको गौण की। दृष्टमें तो आया जैसा था वैसा। परन्तु वह जैसा है वैसा कार्यरूप परिणमित नहीं हुआ है तो आत्मा जैसा है वैसा कार्य नहीं किया है। तो वह किस कामका? इसलिये जैसा है वैसा जब प्रगट हुआ, तब वह वास्तविक आत्मा है।
वेदनमें आया वही वास्तविक आत्मा। वहाँ आंशिक अनुभव हुआ, वहाँ ऋजुसूत्रनय कहते हैं, वहाँ पूर्ण हुआ तो एवंभूतनयकी अपेक्षासे कहते हैं। बाकी साधनामें ... दृष्टि द्रव्य पर है तो भी कैसे स्वरूप रमणता प्राप्त करुँ, वीतरागता प्राप्त करुँ, आत्माकी स्वानुभूतिकी विशेषता प्राप्त करुँ, ऐसी सब भावना उसे होती है। साधकदशामें आती है। परन्तु उसके साथ दृष्टि होनी चाहिये। दृष्टि बिना सिर्फ भावना करे तो भावनाका जोर, दृष्टि बिना उसका जोर आगे नहीं चलता। दृष्टि साथमें हो तो ही भावनाका बल (रहता है)। दृष्टिके साथ भावना। ऐसी पर्याय प्रगट होनेकी भावना हो। कैसे चारित्रदशा प्राप्त हो, कैसे केवलज्ञान प्राप्त हो, स्वानुभूतिकी विशेषता कैसे हो, ऐसी सब भावना, पर्याय प्रगट करनेकी भावना होती है। परन्तु दृष्टिको साथमें रखकर आती है।
मुमुक्षुः- दृष्टि बिनाकी भावना तो रूखी भावना हो गयी।
समाधानः- हाँ, वह भावना जोर नहीं कर सकती। जोर नही कर सकती। अंतिम बोलमें लिया न? वास्तविक आत्मा कब? कि पर्याय प्रगट हुयी वह आत्मा। अंतिम बोलमें वह है न। अलिंगग्रहणमें वह आता है।