Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 1278 of 1906

 

ट्रेक-

१९७

४५

समाधानः- क्या मालूम पडे? वह तो उसकी योग्यता। वह तो स्वयं ही जाने, दूसरा कौन जान सके?

मुमुक्षुः- गुरुदेव भी नहीं है कि गुरुदेवको कुछ पूछें? ...

समाधानः- .. कुछ पूछना होता नहीं, इसलिये उसे स्वयंको लगे वैराग्य आ गया।

मुमुक्षुः- हमें ख्याल आवे कि ये महाराजसाहब अर्थात कानजी महाराजने ऐसी सब बातें की है?

समाधानः- ज्ञान कर, लेकिन दृष्टि एक आत्मा पर कर। गुरुदेवने एकदम सूक्ष्म बात करी। और चारों ओरसे सूक्ष्म करके बता दिया है। युक्तिसे, दलीलसे बताकर सबको (सरल कर दिया)।

मुमुक्षुः- आत्माको ऐसे हथेलीमें दे दिया है।

समाधानः- हथेलीमें दिखा दिया है।

मुमुक्षुः- एक प्रश्न, दूसरे लोग-अभ्यासी लोग, दूसरे जो सामान्य.. हम लोग ऐसा कहते हैं कि चतुर्थ गुणस्थानमें जो अनुभव होता है, वह प्रत्यक्ष अनुभव होता है। हम लोग प्रत्यक्षवत भी कहते हैं। ये लोग अभी ऐसी बात करते हैं, दिगंबर संतों, कि चौथे गुणस्थानमें अनुभव है ही नहीं। जबकि ये सब तो खाणिया चर्चामें भी..

समाधानः- (चौथे गुणस्थानसे) स्वानुभूति शुरू होती है। सातवेंकी तो कहाँ बात करनी? सातवेंमें तो अंतर्मुहूर्त-अंतर्मुहूर्तमें होती है। छठवें-सातवें मुनिओंको तो अंतर्मुहूर्त- अंतर्मुहूर्तमें होती है। ... मालूम ही नहीं होता। बाह्य क्रियाएँ और त्यागमें, क्रिया और त्यागमें माननेवाले होते हैं। त्याग कर दिया और शास्त्र पढ लिये, इसलिये क्रिया और शास्त्र पढ लिये इसलिये सब आ गया। अन्दरमें अनुभूतिको कुछ समझते नहीं।

... कहते हैं उसका विश्वास नहीं है। वर्तमान जो सत्पुरुष गुरुदेव जैसे हुए, उनका विश्वास नहीं है। आचार्य जो शास्त्रमें कह गये, समयसारमें आदिमें, उसे गहराईसे पढते नहीं।

समयसारमें जगह-जगह आता है, गहराईसे पढते नहीं। स्वानुभूतिकी बात समयसारमें कुन्दकुन्दाचार्य और अमृतचन्द्राचार्य, दोनोंने लिखी है। (रहस्य) खोले, समयसारके रहस्य भी गुरुदेवने खोले हैं। समयसार कोई समझता नहीं था। उसके रहस्य भी गुरुदेवने खोले हैं।

मुमुक्षुः- अभी तो जो लोग..

समाधानः- हम कुछ जानते हैं, कुछ जानते हैं उसमें रह गये। .. गुरुदेवने कहा, यह शरीर भिन्न है, आत्मा भिन्न है। अन्दर चैतन्यतत्त्व अनन्त