Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi). Track: 200.

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ट्रेक-२०० (audio) (View topics)

समाधानः- .. तब ऐसा हो कि गुरुदेवका जन्म-दिवस आये तो क्या करें? जितना करें उतना कम है। भगवानके और सबके जन्म कल्याण मनाते हैं। चैत शुक्ल- १३ आती है। वैसे गुरुदेव इस पंचमकालमें जन्मे, उनका जन्म-दिन भी ऐसा ही मंगलकारी है। सबको...

मुमुक्षुः- आता है न? द्रव्य मंगल, क्षेत्र मंगल, काल मंगल।

समाधानः- हाँ, द्रव्य मंगल, क्षेत्र मंगल, काल मंगल, भाव मंगल, सब मंगल है। इस पंचमकालमें भावि तीर्थंकरका द्रव्य माने जितना करें उतना कम है। और इस पंचमकालमें आकर वाणीकी वर्षा बरसायी है। भगवान जैसा कार्य किया है। निरंतर वाणी बरसायी है। भगवानकी जैसे नियमितरूपसे वाणी बरसा करती है, वैसे गुरुदेवकी वाणी बरसती रहती थी। ... गुरुदेवने मार्गका परिवर्तन किया। विचार करके यह सच्चा लगा, इसलिये हीराभाईके बंगलेमें (परिवर्तन किया)।

मुमुक्षुः- चार दिनके बाद चैत शुक्ल-१३ है।

समाधानः- हाँ। .. स्वीकार किया था, लेकिन बाहरसे।

समाधानः- .. उस ज्ञायक आत्मामें सब भरपूर भरा है। वही महिमावंत है। ऐसे बारंबार उसका अभ्यास, उसका विचार, चिंतवन, मनन (करते रहना)। बाहरमें तो श्रावकोंको देव-गुरु-शास्त्रकी महिमा होती है। अंतरमें चैतन्य कैसे पहचानमें आये, चैतन्यकी महिमा, आत्माकी महिमा करने जैसी है। उसका भेदज्ञान कैसे हो, उसका स्वभाव कैसे पहचानमें आये? ज्ञायकस्वरूप आत्मामें ही शान्ति भरी है, उसीमें आनन्द है। बाहरको सब विकल्प तो आकुलतारूप है।

मुमुक्षुः- शान्ति ही लगती है।

समाधानः- शान्ति लगे ऐसा है।

मुमुक्षुः- विशेष तो भेदज्ञान...

समाधानः- भेदज्ञानके बिना तो... यथार्थ शान्ति तो भेदज्ञान करके, निर्विकल्प अनुभव हो तब ही खरी शान्ति, खरा आनन्द तो तभी स्वानुभूतिमें आता है। बाकी ु पहले उसकी श्रद्धा करे, भेदज्ञान करे, प्रतीत करे। भेदज्ञानमें आंशिक शान्ति (लगती