७८ आया है। फिर भी सुन न सके ऐसे हैं। कुम्हारकी भट्ठीमें जो अग्नि लगे उससे अनन्तगुनी तापकी वेदना नर्कमें है। गुरुदेव कहते थे।
मुमुक्षुः- क्रोड भवमें, क्रोड जीभसे...
समाधानः- हाँ, क्रोड जीभसे और क्रोड मुखसे कह न सके ऐसा उसका दुःख है। गरमी, ठण्डी, भूख, प्यासके अनन्त दुःख जीवने सहन किये हैं। फिर भी जहाँ आया सब विस्मृत करते आया है। देवलोकमें जीव अनन्त बार गया है। अनुकूलतामें रहा है। तो भी आत्माका कुछ न कर सका। वह भी सुख नहीं है, आकुलता है। देववोकमें। सुख एक आत्मामें ही है।
मुमुक्षुः- जातिस्मरण हो, माताजी! उन बको वैराग्य प्राप्त हो, ऐसा है?
समाधानः- हो, वैराग्य तो होता है। जैसी उसकी योग्यता हो वैसा हो।
समाधानः- ... सब बोलमें वही आता है। ... अन्यका नास्तित्व है। अनादिसे भूल हो रही है। या तो अन्यके अस्तित्वमें मेरा अस्तित्व अथवा अन्यका अस्तित्व मेरेमें। अथवा अन्यका नास्तित्व करे तो ऐसा करे कि अपना नास्तित्व करे। ये मेरेमें नहीं है तो अपने गुण भी उसमें नहीं लेता। वह ज्ञान और ज्ञेय मिश्र हो गया। ऐसे। द्रव्य समझनेमें भूल की, क्षेत्र समझनेमें, काल समझनेमें, भाव समझनेमें सबमें भूल ही की है।
अपने गुण समझनेमें भूल की है। दूसरा मेेरेमें आ गया है, उसे निकाल दू। ये सब तो आकुलता लगती है। ऐसा करके अपना स्वभाव निकाल देता है। ऐसे निकालने जाय, नास्तित्व करने जाता है तो सबका नास्तित्व कर देता है। और अस्तित्व (मानता है) दूसरेमें मेरा अस्तित्व (है)। सर्व प्रकारसे अपनी हयातीको खो बैठता है, मानों मैं कुछ हूँ ही नहीं। अपने गुणका नास्तित्व करे, अपने द्रव्यका नास्तित्व करे, अपनी पर्याय मानों अन्यमें मेरी पर्याय होती है। ऐसे दूसरेमें मेरा अस्तित्व अथवा मेरा नास्तित्व। मैं दूसरेमें प्रवेश करता अथवा दूसरा मेरेमें प्रवेश करता है। ऐसा ही करते रहता है।
सत्य समझे कि मैं मेरे द्रव्यमें (हूँ)। मेरा द्रव्य मुझसे ही है, मेरा अस्तित्व मेरेसे ही है। अन्यका मेरेमें नास्तित्व है। अन्यका मेरेमें प्रवेश नहीं है। मेरे गुणका अस्तित्व मेरेसे है। मेरे गुण अन्यमें जाते नहीं। मेरे गुण ज्ञेयमें जाते नहीं। ज्ञेय मेरेमें आता नहीं। अन्य ज्ञेयोंका मेरेमें नास्तित्व है। ज्ञेयोंका नास्तित्व होनेसे उसके साथ मेरा नास्तित्व नहीं होता है। ज्ञेयोंका मेरेमें नास्तित्व, उसका मतलब मेरा नास्तित्व उसमें नहीं आता। मेरा अस्तित्व मुझसे और मेरा परसे नास्तित्व है।
मेरी पर्याय मेरेसे परिणमती है। दूसरेके कारण मेरा परिणमन नहीं होता है। वह कहता है, दूसरेके कारण मेरा परिणमन होता है। दूसरा परिणमे उसके साथ मैं परिणमता