Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

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ट्रेक-२०९

है। घरमें खडे हुए मनुष्यकी दृष्टि बाहर (है), घर छोडकर नहीं गया है। घरके बाहर खडा हो तो, एक पैर घरके अन्दर और एक पैर घरके बाहर, ये तो स्थूल दृष्टान्त है। वैसे घर छोडकर बाहर नहीं चला गया है, उसका उपयोग बाहर गया है। उसका उपयोग पलटे तो उसका कदम अपनी ओर आ सके ऐसा है। लेकिन पुरुषार्थकी कमजोरीके कारण उसका उपयोग बाहर गया है। और सविकल्पकी धारा, ज्ञाताकी धारा चालू है। उपयोग पलटे तो स्वयं अपनेमें स्वानुभूतिका वेदन कर सके ऐसा है। लेकिन उसकी दशा अनुसार होता है। उसकी जैसी भूमिका हो, उस अनुसार होता है। दृष्टि अन्दर चैतन्यमें है, उपयोग बाहर गया है।

मुमुक्षुः- छठवें गुणस्थानमें दृष्टि अन्दर चैतन्यमें है। उपयोग बाहर है।

समाधानः- दृष्टि तो चैतन्यमें है। चौथे गुणस्थानमें दृष्टि चैतन्यमें है और छठवें गुणस्थानमें दृष्टि चैतन्यमें है। छठवें गुणस्थानमें उपयोग बाहर है, लेकिन उसमें उनकी लीनता, दृष्टिके साथ लीनता अधिक है। चतुर्थ गुणस्थानमें दृष्टिके साथ उसकी लीनता, स्वरूपाचरण चारित्र जितना प्रगट हुआ उतनी लीनता है। और छठवें गुणस्थानमें उसकी लीनता बढ गयी है। दृष्टिके साथ लीनता भी है। लेकिन उपयोग बाहर गया है, उतनी लीनता (कम है), अभी केवलज्ञान नहीं है, इसलिये उतनी लीनतामें क्षति है। परन्तु छठवें गुणस्थानकी लीनता तो है।

सविकल्पतामें भी दृष्टि है, उसके साथ लीनता भी है। छठवें गुणस्थानमें उसकी भूमिका छठवें गुणस्थानकी है, इसलिये उतनी लीनता, सविकल्पतामें भी उतनी लीनता है, लेकिन उपयोग बाहर (गया है)। अंतरमें जाय तो वह सातवीं भूमिका होती है। परन्तु सविकल्पतामें भी छठवीं भूमिकामें जितनी दृष्टि स्थापित है, उसके साथ लीनता भी है। छठवें गुणस्थानमें अकेली दृष्टि है ऐसा नहीं है, उसके साथ लीनता भी है। उतनी चारित्रकी दशा साथमें है।

मुमुक्षुः- आप जो कहते हो कि परिणति गाढ होती जाती है, तो वह लीनता बढती जाती है।

समाधानः- लीनता बढती जाती है। और अमुक प्रकारसे लीनता, छठवें गुणस्थानमें छठवीं भूमिकाकी लीनता है। ऐसी लीनता है कि उपयोग अंतर्मुहूर्त बाहर जाय, फिर अंतर्मुहूर्तके बाद अंतरमें आता ही। ऐसी उसकी उग्र लीनता है। बारंबार उपयोग अंतरमें आता है। अंतर्मुहूर्त-अंतर्मुहूर्तमें। चतुर्थ भूमिकामें अंतर्मुहूर्त-अंतर्मुहूर्तमें अन्दर नहीं आ सकता है। क्योंकि उसकी भूमिका अमुक है। और छठवें-सातवेंमें तो अंतर्मुहूर्तमें अंतरमें आता है।

मुमुक्षुः- .. यह छठवाँ है, वह कैसे मालूम पडे? उसकी लीनता परसे ख्याल