१६२
समाधानः- उसके बदले आहा.. शब्द बहुत आता था। बहुत बार, थोडे-थोडे वाक्यमें आहा.. ऐसा ही आता था।
मुमुक्षुः- एक-दो वाक्य बोले और आहा... आता था।
समाधानः- हाँ, आहा.. ऐसा ही आता था। कोई न्याय आये तो आहा.. आत्माकी बात करते-करते आहा.. ऐसा ही आता था। वह तो कुछ अलग ही लगता था। आहा.. कहते थे वह। ऐसा लगे कि गुरुदेवको कितनी इस तत्त्वकी, आत्माकी आश्चर्यता लगती है कि आहा.. शब्द बार-बार आता है। श्रुतका इतना आश्चर्य, न्यायका और अन्दर आत्माका उतना आश्चर्य, आहा.. शब्द बहुत आता था। यहाँ थोडेमें पढते तो भी आहा.. शब्द बहुत बार आता था।
मुमुक्षुः- प्रवचनमें अन्दरसे महिमा जैसे स्वयंको उछलता, वैसे भाषामें आता था।
समाधानः- उनके भाव ऐसे और उनका पूरा जीवन ऐसा था।
मुमुक्षुः- अभी टेपमें सुने तो जब भावके साथ सुनते हो तब भूल जाते हैं कि गुरुदेव यहाँ नहीं है, ऐसा लगता ही नहीं।
समाधानः- गुरुदेव है ऐसा लगे।
मुमुक्षुः- गुरुदेवश्री मानों साक्षात विराजते हों।
समाधानः- उनकी ललकार टेपमें भाव खोलकर आती है तो ऐसा ही लगता है।
मुमुक्षुः- गुरुदेवके हावभाव प्रत्यक्ष दिखते हों, ऐसा लगे। वाणीमें ऐसा आ गया है।
समाधानः- टेपमें ऐसा आता है। व्याख्यानमें पढने आते हैं और फिर चले जाते हैं ऐसा कहते थे। गुरुदेव पढते हैं, ऐसा ही लगता है।
मुमुक्षुः- ..
समाधानः- गुरुदेवको तो श्रुतका बहुत ही है। उन्हें श्रुतकी तो लब्धि थी। वहाँ देव इकट्ठे होकर शास्त्रसभा करते हैं। वांचन भी करते हैं। शास्त्रसभा होती है। गुरुदेवका तो सहज है तो ऐसा बन सकता है कि देवोंकी सभामें भी... देव चर्चा-वार्ता करते हैं, शास्त्रसभा देवोंमें होती है। देव भगवानके दर्शन करे, पूजन करे, शास्त्रसभा होती है। उन्हें अंतर श्रुतकी लब्धि (थी)। वे बोले वह सबको असरकारक ऐसा उनका प्रभावनाका योग और अंतरका सब ऐसा था। देवोंमें तो होता है, शास्त्रसभा होती है, प्रश्न चर्चा होती है, सब होता है। देव तत्त्व चर्चा करते हैं। देव भगवानके समवसरणमें जाते हैं, भगवानकी ध्वनि सुनने जाते हैं। देवलोकमें भी शास्त्रसभा होती है।
मुमुक्षुः- अहेमदाबादवाले शान्तिभाई कामदार है न? उनके छोटे भाई कांतिभाई कामदार चल बसे हैं, उनकी पत्नी आदि सब आये हैं। हार्ट फेईल हो गया। बोटादवाले शान्तिभाई कामदार। ... शान्तिभाईके भाई कान्तिभाई। ये कान्तिभाईके पुत्र हैं और ये