Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi). Track: 216.

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 1408 of 1906

 

१७५
ट्रेक-२१६ (audio) (View topics)

मुमुक्षुः- ११४ गाथा प्रवचनसारमें आता है, परको जानना सर्वथा बन्द कर दिया। ऐसी प्रक्रिया बताते हैं। पर्यायचक्षुको सर्वथा बन्द कर दे, तब द्रव्यचक्षु उघडता है।

समाधानः- सर्वथा बन्द कर दे उसका अर्थ है कि उसका उपयोग परमें जाता है न? उस उपयोगको स्वमें लाओ। छद्मस्थका उपयोग बाहरमें जाता है तो क्रम-क्रमसे जानता है। इसलिये तू उपयोग अपनी ओर ला। सर्वथा बन्द करनेका अर्थ ऐसा है कि उपयोग अपनेमें ला। राग आता है, उसमें एकत्वबुद्धि होती है इसलिये राग मत कर, ऐसा कहना है। जाननेका बन्द कर, उसका अर्थ राग बन्द कर। राग टाल दे, ऐसा उसका अर्थ है। तू स्वभावमें लीन हो जा। बादमें केवलज्ञान प्रगट होता है तो वह सबको जानता है। वीतरागता प्रगट कर दे, ऐसा उसका अर्थ है। तू जाननेका स्वभावका नाश कर दे ऐसा अर्थ नहीं है। तेरे स्वभावका नाश कर दे ऐसा अर्थ नहीं है। राग टाल दे और उपयोग स्वरूपमें ला, ऐसा।

छद्मस्थ तो एक बार जाने तो एक तरफ जान सकता है। इसलिये स्व-ओर उपयोग आवे तो पर-ओर उपयोग जाता नहीं है। इसलिये परको जाननेका सर्वथा बन्द कर दे। एक तरफ जाने, उपयोग तो एक तरफ जाता है। परिणति सब ओर रहती है। ज्ञानका उपयोग तो फिरता रहता है। स्वानुभूतिमें उपयोग जाय तो परको जानना छूट जाता है। और स्वानुभूतिमें लीन हो जाय तो पर-ओर उपयोग जाता नहीं है। आत्माका वेदन स्वानुभूतिमें होता है। इसलिये परको जाननेका स्वभाव नाश नहीं होता है।

मुमुक्षुः- एक प्रश्न था कि भगवान ऐसा कहते हैं कि हम अपनेको देखते हैं, तुम भी अपनेको देखो, परको मत देखो।

समाधानः- भगवान क्या कहते हैं?

मुमुक्षुः- भगवान कहते हैं, हम अपनेको देखते हैं, तुम भी अपनेको देखो, परको मत देखो।

समाधानः- परको मत देखो अर्थात पर-ओर उपयोग, परका राग मत करो। अनादि कालसे उपयोग बाहर भ्रमण कर रहा है। अपना अवलोकन करो, उसमें सब आ जाता है। अपनेको अवलोकन (करे)। जो स्वभाव है वह सब उघड जाता है। पर जाननेकी