Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 1434 of 1906

 

ट्रेक-

२१९

२०१

तो जान लेते हैं कि ये शरीर जल रहा है।

और (उनको) सम्यग्दर्शन तो है, लेकिन उससे भी आगे बढ गये हैं। चारित्र दशा है। जो गृहस्थाश्रममें सम्यग्दर्शन हुआ है, उन्हें भेदज्ञान तो हुआ है, आत्माको तो भिन्न जाना है-न्यारा जानते हैं। उन्हें गृहस्थाश्रममें कोई भी रोग आये तो आत्मा भिन्न है ऐसा जानते हैं। परन्तु अल्प अस्थिरता है, उन्हें रागके और दूसरे विकल्प आते हैं, यह ठीक नहीं है, ऐसी अस्थिरता हो तो भी आत्मामें शान्ति रखते हैं। विकल्प आये, अमुक अस्थिरता हो तो भी शान्ति रखते हैं।

और मुनि तो उससे भी आगे बढ गये हैं। मुनि तो चारित्रदशामें अन्दर क्षण- क्षणमें स्वरूपमें लीन होते हैं। और गृहस्थाश्रममें कोई बार लीन हो, बाकी उन्हें भेदज्ञानकी धाराकी लीनता है। भेदज्ञानकी धाराकी लीनता चालू है। इसलिये वे भी भिन्न हैं, परन्तु ु मुनि तो विशेष आगे हैं। अंतर्मुहूर्त-अंतर्मुहूर्तमें स्वरूपमें चले जाते हैं। इसलिये इस उपसर्गमें उन्हें पुरुषार्थ विशेष वृद्धिगत हो गया। गजसुकुमालको अन्दर लीनता होते-होते ऐसे लीन हो गये कि बाहर ही नहीं आये, केवलज्ञान प्रगट किया। केवलज्ञान प्रगट हो गया तो इस शरीरमें क्या होता उसका ख्याल भी नहीं है।

मुमुक्षुः- उपसर्ग था तभी केवलज्ञान हुआ?

समाधानः- उपसर्ग था, बाहरसे शरील जल रहा था, परन्तु अन्दर केवलज्ञान हो गया। और आत्मा अन्दर एकदम केवलज्ञान होकर आत्मा मोक्षमें चला गया। उतनी लीनता प्रगट हो गयी।

मुमुक्षुः- मुनिको इतनी पुण्य प्रकृतिका उदय है, इतना..?

समाधानः- पुण्य प्रकृति नहीं, पुरुषार्थ।

मुमुक्षुः- पुरुषार्थ, तो भी उनको इतना उपसर्ग आता है?

समाधानः- पूर्वके जो उदय हो वह उदय आये बिना नहीं रहता। मुनि हो तो मुनिओंको भी उदय आते हैं, परन्तु वे शान्ति रखते हैं। अन्दरमें उन्होंने ऐसा पुरुषार्थ प्रगट किया कि केवलज्ञान प्रगट किया। मुनि शान्ति (रखते हैं)। उन्हें एक भव हो तो देवलोकमें जाते हैं। गजसुकुमालने तो केवलज्ञान प्रगट किया। ऐसे लीन हो गये कि ये शरीर जल रहा है, वह भी ध्यान नहीं रहा। आत्मामें ऐसे डूब गये कि केवलज्ञान हो गया।

मुमुक्षुः- उग्र पुरुषार्थ।

समाधानः- उतना उग्र पुरुषार्थ। उतना पुरुषार्थ हो सकता है।

मुमुक्षुः- विचार यह आता है कि मुनि इतने बढ गये हैं, चारित्रदशा इतनी है, फिर भी उपसर्ग आता है, पूर्व भवके ..