Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

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ट्रेक-

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है, उसका भेदज्ञान होता है।

.... रखकर सब बात की है। अनन्त कालसे जीवने दृष्टि प्रगट नहीं की है। दृष्टि मुख्य रखकर गुरुदेव कहते थे। उसमें जिसकी जो रुचि और जिसकी ग्रहण करनेकी शक्ति हो, उस अनुसार ग्रहण कर लेता है। जिज्ञासुको स्वयंको क्या ग्रहण करना उसके हाथकी बात है।

मुमुक्षुः- .. की बात भी उतनी जोरसे करते थे।

समाधानः- हाँ, गुरुदेव वह बात आये तो वह भी जोरसे कहते थे और यह बात आये तो यह जोरसे कहते थे। उसमें गुरुदेवका क्या अभिप्राय और आशय है, उसे समझना पडता है। सब बात करते थे। दोनों पहलूसे बात आती थी।

पर्याय द्रव्य बिना निराधार नहीं होती। तथापि द्रव्य-गुण-पर्यायका स्वरूप समझानेके लिये, गुणका यह स्वरूप, द्रव्यका और पर्यायका अंशका स्वरूप, उसका भिन्न-भिन्न स्वरूप वर्णन करनेमें आये तब ऐसा आये। बाकी द्रव्य और पर्याय एकदम टूकडे (नहीं है)। दो द्रव्य स्वतंत्र हैं, वैसे पर्याय और द्रव्य उस प्रकारसे स्वतंत्र हो तो दो द्रव्य हो जाय। तो उसे पर्याय ही नहीं कह सकते। तो फिर दो द्रव्य हो जाते हैं। परन्तु पर्यायको द्रव्यका आश्रय होता है।

जितनी स्वतंत्रता दो द्रव्यकी है, उतने ही पर्याय और द्रव्य स्वतंत्र हो तो उसे पर्याय ही नहीं कहते। उसके स्वरूपसे उसका अंश स्वतंत्र है। परन्तु वह पर्याय द्रव्यके आश्रयसे (होती है)। किसकी पर्याय है? चैतन्यकी पर्याय है। इसलिये पर्यायको चैतन्यका आश्रय है।

मुमुक्षुः- स्वप्नमें बहुत बार आये तो ... ?

समाधानः- ऐसी व्यक्तिगत बात क्या पूछनी? स्वप्न भी आये, गुरुदेव प्रवचन करते हो ऐसा भी आये, अनेक जातका आये। इतने वर्ष यहाँ व्यतीत किये हो तो वह तो आये न। ऐसा दिखाव, माहोल ऐसा हो जाता है कि गुरुदेव विराजते ही हैं, ऐसा हो गया। सबके भावमें ऐसा हो गया। स्वर्गमें तो विराजते हैं। क्षेत्रसे दूर है। यहाँ सबको भावमें ऐसा आरोप हो गया था कि गुरुदेव यहाँ विराजते हैं। उपयोग रखे तो ज्ञानमें तो सब ज्ञात होता है। अवधिज्ञानका उपयोग रखे तो सब ज्ञात हो। यह भरतक्षेत्र और महाविदेह क्षेत्र सब उन्हें दिखता है। गुरुदेवको तो सब ख्याल होता है। यहाँ सबको ऐसा हो गया कि गुरुदेव यहाँ विराजते हैं। ऐसा हो गया था। .. किसीको देखनेमें आ गये हो तो किसीने देखा हो। आ गये हो तो विराजते तो हैं, किसीको मालूम थोडा ही पडता है, आ गये हो तो।

मुमुक्षुः- किसीको दिखाई दिये हो और किसीको दिखाई न दिये हो।