Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

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ट्रेक-२२२

समाधानः- सूर्यके किरण आदि आता है। उसमें जो ज्ञान है, उस ज्ञानको ही ग्रहण करना। जो क्षयोपशमके भेद है, उन भेदोंको ग्रहण नहीं करके एक ज्ञानमात्र मैं ज्ञायक हूँ, उसे ग्रहण करना। उसके प्रकाशके किरण जो हीनाधिकतारूप है, वह उसका मूल नहीं है, मूल नहीं है। उसका जो मूल तल है वह ज्ञायकता ग्रहण करनी, ज्ञानपदको ग्रहण करना। वह तो कर्मके निमित्त-से अपने कम-बेसी उघाडके कारण मति, श्रुत, अवधि आदि दिखाई दे, केवलज्ञान पर्यंत, परन्तु उसका मूल अस्तित्व जो ज्ञायकता है, वह ग्रहण करनी। ज्ञानपद परमार्थ है।

मति, श्रुत, अवधि, मनःपर्यय और केवल वह सब उसके भेद हैं। परन्तु उसका मूल क्या है? प्रकाशके सब किरण दिखे, परन्तु उसे पूरा देखो तो पूरा सूर्य जो है, वह सूर्य कहाँ है? उस सूर्यको ग्रहण करने जैसा है। बादलमें वह किरण आये कहाँ- से? उसका तल कहाँ है? वह किरण जो दिखाई देते हैं, उसके पीछे क्या है? कि पूरा अस्तित्व है, पूरी चैतन्यता, ज्ञायकता भरी है। उस ज्ञायकताको ग्रहण करना है।

मुमुक्षुः- पर्याय परसे तू पर्यायवानको लक्ष्यमें ले।

समाधानः- हाँ, पर्यायवान। उसको धारण करनेवाला अस्तित्व कौन है? ज्ञायकताको ग्रहण कर। मूलको ग्रहण कर। वह उसे तोडते नहीं है, उसे अभिनन्दन देते हैं। वह सब पर्याय दिखती है उस पर्यायके पीछे पूरा द्रव्य है, उस द्रव्यको ग्रहण कर।

मुमुक्षुः- सामान्य ज्ञानका आविर्भाव और विशेष ज्ञानके तिरोभावसे जब ज्ञानमात्रका अनुभव करनेमें आता है, तब ज्ञान प्रगटरूपसे अनुभवमें आता है। अब, वहाँ गुरुदेव बारंबार ऐसा कहते थे कि यहाँ द्रव्यकी बात नहीं है। यहाँ पर्यायकी बात है। तो ऐसा कहकर क्या कहना था? और उसका सार क्या है?

समाधानः- भेद-भेदमें विशेषमें रुकता था, फिर सामान्य पर दृष्टि करता है, तो सामान्य ज्ञानका आविर्भाव (होता है)। आविर्भाव अर्थात प्रगटपना होता है। प्रगट होता है, इसलिये वह पर्याय प्रगट होती है। सामान्य ज्ञान पर दृष्टि देने-से, सामान्य ज्ञान जो अनादिसे शक्तिरूप था वह प्रगट होता है। वह प्रगट होता है इसलिये उसका आविर्भाव हुआ। और विशेष जो भेद-भेदमें रुकता था, उस भेदमें-से उसकी दृष्टि अभेद, एक सामान्य पर दृष्टि करनेसे सामान्य ज्ञानका आविर्भाव होता है। इसलिये वहाँ द्रव्यदृष्टि प्रगट होती है। जैसा द्रव्य है, वैसी उसकी दृष्टि-पर्याय प्रगट होती है, उसकी स्वानुभूति प्रगट होती है।

मुमुक्षुः- माताजी! आगे लवणका दृष्टान्त दिया है। सब्जीके सम्बन्धसे लवण देखनेमें आये तो सब्जी खारी है, ऐसा ख्यालमें आता है। और मात्र लवणका स्वाद लेनेमें आये तो सीधा लवणका स्वाद है कि लवण खारा है। ऐसे यहाँ सामान्य ज्ञानका आविर्भाव