Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 1475 of 1906

 

अमृत वाणी (भाग-५)

२४२

मुमुक्षुः- क्रमिकरूपसे कार्य करता है। समाधानः- हाँ, क्रमरूप कार्य करता है, क्रमरूप कार्य करता है। एकसाथ कार्य करता है तो स्व-पर दोनोंका जानता है। इसमें क्रम पडता है, इसलिये नहीं जानता है। परन्तु भीतरमें अपने अनन्त गुण और अनन्त पर्याय जो स्वानुभूतिमें होते हैं गुण- पर्याय, उसको तो जानता है। उसका वेदन होता है। वह तो जानता है, स्वानुभूतिमें।

प्रशममूर्ति भगवती मातनो जय हो!