अमृत वाणी (भाग-५)
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मुमुक्षुः- क्रमिकरूपसे कार्य करता है। समाधानः- हाँ, क्रमरूप कार्य करता है, क्रमरूप कार्य करता है। एकसाथ कार्य करता है तो स्व-पर दोनोंका जानता है। इसमें क्रम पडता है, इसलिये नहीं जानता है। परन्तु भीतरमें अपने अनन्त गुण और अनन्त पर्याय जो स्वानुभूतिमें होते हैं गुण- पर्याय, उसको तो जानता है। उसका वेदन होता है। वह तो जानता है, स्वानुभूतिमें।
प्रशममूर्ति भगवती मातनो जय हो!