Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

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ट्रेक-

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करे अपनी ओर जाता है तो भगवान-ओरका लक्ष्य छूट जाता है और स्वसन्मुखता हो जाती है। भगवान-ओरका राग छूट जाय और अपनी ओर अपनी श्रद्धा हो तब अपनेको (पहचानता है)। राग तो वीतराग दशा हो तबतक रहता है, परन्तु भेदज्ञान होता है। भगवानकी ओर यह राग (जाता है, वह) और मैं भिन्न हूँ, ऐसा भेदज्ञान हो जाता है। उसका भेदज्ञान हो जाता है।

मुमुक्षुः- केवली भगवानको तो प्रत्यक्ष आत्माके प्रदेश वगैरह अनुभवमें जाननेमें .. आदि प्रत्यक्ष लगते हैं। उनको तो केवलज्ञान हो जानेसे ... लेकिन अपने तो स्वानुभवके कालमें आत्माके प्रदेश आदिका प्रत्यक्षरूप (नहीं होता)।

समाधानः- भगवानको केवलज्ञान है, इसलिये प्रत्यक्ष जानते हैं। प्रदेश और सब द्रव्य, गुण, पर्यायको प्रत्यक्ष जानते हैं। लोकालोक सबको प्रत्यक्ष (जानते हैं)। स्वानुभवके कालमें और वेदन प्रत्यक्ष है। अपना स्वानुभव प्रत्यक्ष है। प्रदेश उसको प्रत्यक्ष नहीं होते हैं। अनुभव प्रत्यक्ष है न। अपना आनन्द और स्वानुभूति प्रत्यक्ष है।

मुमुक्षुः- स्वानुभवको आपने प्रत्यक्ष फरमाया तो...

समाधानः- परोक्ष कहनेमें आता है। केवलज्ञानकी अपेक्षासे परोक्ष (कहनेमें आता है)। क्योंकि मति-श्रुत है वह परोक्ष है। इसलिये परोक्ष कहनेमें आता है। परन्तु स्वानुभूति है वह प्रत्यक्ष है। अपने वेदन हुआ वह प्रत्यक्ष है। तो अपेक्षासे प्रत्यक्ष कहनेमें आता है, उसको परोक्ष भी कहनेमें आता है। मति-श्रुत तो मनका अवलम्बन रहता है इसलिये परोक्ष कहनेमें आता है। परन्तु परोक्ष ऐसा नहीं है कि कुछ जाननेमें नहीं आता। वेदन तो प्रत्यक्ष है।

मुमुक्षुः- कोई एक दृष्टान्त।

समाधानः- मिशरी खाता है तो उसका स्वाद अपनेको आता है, वह स्वाद कहीं ऐसा नहीं है कि परोक्ष है, कोई अनुमान नहीं करता है। मिशरीका स्वाद है वह स्वाद तो प्रत्यक्ष है। अन्धेको मिशरी खिलाओ तो कैसा आकार है? कैसा वर्ण है? वह नहीं जानता। परन्तु जो स्वाद होता है वह स्वाद तो प्रत्यक्ष होता है। अन्धेको मिशरी (खिलायी) वह स्वाद तो प्रत्यक्ष होता है।

ऐसे स्वानुभूतिमें असंख्यात प्रदेश गिनतीमें नहीं आते। परन्तु उसका जो वेदन होता है वह तो प्रत्यक्ष होता है। जैसे अन्धेको मिशरी (खिलायी)। तो स्वाद, शक्करकी मीठास है वह तो उसे प्रत्यक्ष होती है। वैसे स्वानुभूतिके कालमें आनन्द और उसके अनन्त गुण-पर्यायका वेदन (होता है), वह वेदन प्रत्यक्ष होता है।

मुमुक्षुः- कल आपश्रीने फरमाया था कि जैसे विकल्पोंको जान लेता है, वैसे ही अरूपी ज्ञानको ज्ञान जान लेता है। कैसे?