Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

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ट्रेक-

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हो गया। आज भगवानकी ध्वनि छूटी।

भरतक्षेत्रमें हर जगह ख्याल हो ना कि भगवान विराजते हैं, वाणी नहीं छूटती है। तृषातुर सब राह देखकर बैठे थे। भगवान कब बोले? भगवानकी वाणी कब छूटे? मुनिओं, श्रावक, श्राविका, राजा, चातक पक्षीकी भाँति भगवानकी ध्वनि... उस समय कितने ही मुनि बन गये, श्रावक, श्राविका, सब पलट गये। भगवानकी ध्वनिके साथ सम्बन्ध है।

... बीचमें ... था, इसलिये कितने समय बाद भगवानकी वाणी छूटी। पार्श्वनाथ भगवानके बाद कुछ काल गया, उसके बाद महावीर भगवान हुए। ... लेकिन ध्वनि नहीं छूटती थी। द्वादशांगकी रचना होती है। वाणीका धोध... कितने ऋद्धिधारी मुनि हो गये, किसीको मनःपर्ययज्ञान, किसीको अवधिज्ञान, किसीको चार ज्ञान,किसीको ऋद्धि (प्रगट हो गयी)। भगवानकी वाणी छूटी वहाँ उपादान-निमित्तका सम्बन्ध हो गया। कितने ही मुनि (बन गये)। चारणऋद्धिधारी, अनेक जातकी ऋद्धि आती हैं, वह सब कितनोंको प्रगट हो जाती है। ... ऐसा प्रबल निमित्त है। ऐसा उपादान-निमित्तका सम्बन्ध है।

श्वेतांबरमें ऐसा कहते हैं कि, भगवानकी ध्वनि खाली गयी, कोई गणधर नहीं था इसलिये। ऐसा नहीं बनता, भगवानकी वाणी खाली नहीं जाती। ध्वनि छूटे नहीं ऐसा हो सकता है। भगवानकी वाणी प्रबल निमित्त है, कभी खाली नहीं जाती। भगवानकी ध्वनि छूटे। सामने उतने उपादान तैयार होते हैं। कितने ही मुनि और कितने ही श्रावक (बन जाते हैं)। किसीको कोई ज्ञानकी लब्धि, ... भगवानका ऐसा निमित्त प्रबल था। ... कितनी ऋद्धि, कितने मुनिवर, कोई केवलज्ञानी, ... ये सब हुए तब शिवभूति, वायुभूति वे सब गणधर बन गये।

गौतमस्वामीने परिवर्तन किया तो सबने परिवर्तन किया। ... कितने समय-से बादल होते थे, लेकिन वर्षा नहीं हो रही थी। ... भगवानको केवलज्ञान हुआ तबसे बादल हुए, लेकिन वर्षा नहीं हुयी। इन्द्रको अवधिज्ञान (का उपयोग) रखनेका विचार आया, क्यों ध्वनि छूटती नहीं? भगवान हैं न, तीर्थंकर भगवान। छूटेगी, छूटेगी, ऐसे आशामें दिन निकालते थे। फिर एकदम विचार आया कि ये क्या कारण बना है? ... वाणी छूटती नहीं है। .... समवसरणमें श्रेणिक राजा, राजगृही नगरीमें मुख्य राजा, सब आये, वापस चले जाय। इंतजार करे। किसीको ऐसा हो जाता है न, बहुत भाविक हो, हम घर जा रहे हैं और पीछे-से भगवानकी ध्वनि नहीं छूटेगी न? ऐसा हो जाता है। ... गुरुदेवका प्रवचन समय पर चलता था। कुछ ऐसा हो तो ऐसा हो जाय। सबको बैठे रहनेका मन हो जाता था।

... केवलज्ञान प्राप्त किया है। जगतसे अलग ही लगे। इसलिये भगवानका दर्शन