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जंबूद्वीपका महाविदेह, पुष्कलावती, पुंडरगिरी, भरत आदि सब नजदीक है। देवमें- से सब दिखता है। धूल ही दिखे, दूसरा कुछ नहीं दिखे। और रत्नके पहाड हैं, रत्नोंके पहाड दिखे नहीं, कुछ दिखे नहीं। सब धूल दिखती है। उसे देखनेकी शक्ति नहीं है। भरत चक्रवर्तीके आँखमें ऐसी शक्ति थी, उनकी आँखमें पुण्य था तो उन्हें आँखमें- से दिखता था। सूर्यके अन्दर भगवानकी प्रतिमा और मन्दिर दिखते थे। यहाँके लोगोंको... जिसे चश्मा आया हो, उसे कहे कि यह सूई है और उसका छेद है, चश्मा हो उसे कुछ दिखता नहीं। वह कहे, नहीं है, तो वह जूठा है। ऐसे अभी शक्ति कम हो गयी। नेत्रमें तेज नहीं है, कुछ दिखाई न देता, धूल ही दिखे न, और क्या दिखे? रत्नके पहाड कहाँ-से दिखे? ऊपर देवलोक है वह कहाँ-से दिखे? उसका प्रकाश- रत्नोंका प्रकाश देखकर उसके नेत्र चौंध जाते हैं।
गुरुदेव आये ऐसा स्वप्न आया। गुरुदेव पधारो, पधारो ऐसा कहा। गुरुदेव एकदम.. गुरुदेव आये।