Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi). Track: 243.

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ट्रेक-

२४३

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ट्रेक-२४३ (audio) (View topics)

मुमुक्षुः- ... सत्पुरुषकी सब आज्ञा मानना चाहिये। तो आज्ञा कितनी-कितनी प्रकारकी होती है? क्योंकि वे कहते हैं कि कोई प्रकारकी भी अपात्रता रह जाती है तो मुमुक्षु कल्याणके योग्य नहीं होता है।

समाधानः- कितने प्रकारकी आज्ञा क्या? सत्पुरुषकी आज्ञा तो अपनी पात्रता देखकर आज्ञा करते हैं। आज्ञा कितने प्रकारकी होती है? .. ज्ञानीका आशय ग्रहण करना चाहिये। ज्ञानी कहते हैं, क्या कहते हैं? आशय ग्रहण करके अपनी परिणति प्रगट करना चाहिये। अनेक जातमें कहाँ-कहाँ जीव रुक जाता है। स्वच्छन्द, मताग्रह, अपनी मानी हुयी कल्पनाओंमें (अटक जाता है)। सत्पुरुषका आशय३ क्या है, वह आशय ग्रहण करके वस्तुका स्वरूप समझना चाहिये। यथार्थ समझकरके क्या करना चाहिये उसका आशय ग्रहण करना चाहिये। वे क्या कहते हैं?

स्वयं निर्णय करे उसे सत्पुरुषके आशयके साथ मिलान करना। ज्ञानीका क्या आशय है? मैं क्या मानता हूँ? आशय यथार्थपने जो निर्णय करता है, उसके साथ मिलान करता है। क्या कहते हैं, यह समझना चाहिये। उस प्रकार अपनी परिणति प्रगट करनी चाहिये। वे कहते हैं, उस प्रकार-से। ... ग्रहण करके अपनी परिणति प्रगट करना चाहिये। पुरुषार्थ करना चाहिये। पुरुषार्थकी मन्दता होवे तो ज्ञानी जो कहते हैं उस पर प्रतीत करनी चाहिये। और भावना रखनी चाहिये कि मैं कैसे आगे जाऊँ? ऐसा पुरुषार्थ करना चाहिये।

अपने मतमां कहीं न कहीं अटक जाता है। ज्ञानीका आशय क्या है? देव-शास्त्र- गुरु क्या कहते हैं? उसे ग्रहण करके उस अनुसार अपनी परिणतिको, अपने पुरुषार्थको उस अनुसार चालू करे तो यथार्थ मार्ग उसे प्रगट होता है। उसका आशय ग्रहण करना चाहिये। चारों तरफ-से ज्ञानी क्या कहते हैं? उनका आशय क्या है? उसे ग्रहण करके अपनी परिणति कर लेनी चाहिये।

... वह ज्ञानीका आशय ग्रहण कर लेता है। देव-गुरु-शास्त्र क्या कहते हैं, वह ग्रहण कर सकता है। उसकी पात्रता ऐसी होती है। यदि पात्रता नहीं होवे तो अपनी मति कल्पना-से रुक जाता है।