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है कि इस जीवकी किस प्रकारकी लायकात है। वह जान सकते हैं। स्वयं जान न सके तो कोई ज्ञानी उसे जान सकते हैं। सबकी जान सके ऐसा नहीं, कोई-कोईकी जान सकते हैं। उसके परिचय-से किस जातके परिणाम और किस जातकी उसकी गहराई और किस जातका है, उस पर-से जान सकते हैं।
मुमुक्षुः- पात्रताके परिणाम तो अनुभव-से अधिक स्थूल है। समाधानः- हाँ, स्थूल है। मुमुक्षुः- अनुभवका जान सके तो पात्रता तो... समाधानः- अनुभूति तो स्वयंकी है। अनुभूति तो, स्वयं स्वानुभूति करे वह स्वानुभूति तो स्वसंवेदन ज्ञान है। स्वयं ही उसका अनुभव करनेवाला है। इसलिये वह उसका अनुभव कर सकता है। ये तो दूसरेकी पात्रता। बाकी तो स्वयं ही है, स्वानुभूति है तो। स्वानुभूतिमें स्वयं स्वसंवेद्यमान स्वयं है। इसलिये तो उसका वह अनुभव कर सकता है। दूसरेका जानना, उसमें सबका जान सकते हैं, ऐसा नहीं है। किसीको ऐसा प्रत्यक्ष ज्ञान हो तो जान सकता है। किसीको मति-श्रुतकी निर्मलता हो, कोई अवधिज्ञानी हो वह जान सकता है। बाकी कोई जीव परिचयमें आया हो तो (जान सकते हैं)।