Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi). Track: 247.

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ट्रेक-

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ट्रेक-२४७ (audio) (View topics)

मुमुक्षुः- परमपारिणामिकभावमें पारिणामिक शब्द तो परिणाम सूचक लगता है। तो ध्रुव निष्क्रिय स्वभावरूप जानपना जो है, उसमें परिणाम माने क्या? जानपनामें परिणाम क्या?

समाधानः- अनादिअनन्त है। पारिणामिकभाव ... स्वयं स्वभावरूप परिणमता है। उसमें जो विभावकी क्रिया, निमित्तकी क्रियाओंका परिणमन नहीं है। परन्तु स्वयं निष्क्रिय (है), परिणामको सूचित करता है। निष्क्रिय अपने स्वभावको सदृश्य परिणाम-से जो टिकाये रखता है। परिणाम है, परन्तु वह परिणाम ऐसा परिणाम नहीं है कि जो परिणाम दूसरेके आधार-से या दूसरे-से परिणमे ऐसा परिणाम नहीं है, निष्क्रिय परिणाम है। वह परिणाम शब्द है, परन्तु मूल स्वभाव-से उसे कोई अपेक्षा-से निष्क्रिय कहनेमें आता है। निष्क्रिय परिणाम कहनेमें आता है।

मुमुक्षुः- कूटस्थ शब्द इसमें इसके साथ कैसे बिठाना?

समाधानः- कोई अपेक्षा-से उसे कूटस्थ कहनेमें आता है। पारिणामी स्वभाव है वह कार्यको सूचित करता है। इसलिये .. टिकाये रखता है। इसलिये वह ध्रुव है। और ध्रुव होने पर भी जो उत्पाद-व्ययरूप परिणमता है। ऐसे उत्पाद-व्यय और ध्रुव, तीनोंका सम्बन्ध है। तीनों अपेक्षायुक्त हैं। अकेला ध्रुव नहीं होता, अकेले उत्पाद- व्यय नहीं होते। उत्पाद किसका होता है? जो ध्रुव, जो है उसका उत्पाद है। व्यय भी जो नहीं है, उसका व्यय क्या? इसलिये उसकी पर्यायका व्यय होता है। उत्पाद भी जो है उसका उत्पाद होता है। इसलिये है, उसमें तो बीचमें सत तो साथमें आ जाता है। ध्रुव तो सत है।

जो नहीं है उसका उत्पाद नहीं होता। जो नहीं है उसका व्यय होता नहीं। जो है उसमें कोई परिणामका उत्पाद और कोई परिणामका व्यय होता है। है उसका होता है। इसलिये ध्रुवता टिकाकर, उत्पाद और ध्रुवता टिकाकर व्यय होता है। जो असत- जो जगतमें नहीं है, उसका उत्पाद नहीं होता। जो नहीं है, उसका कहीं नाश नहीं है। जो सत है, उस सतका उत्पाद और जो है उसमें व्यय होता है। इसलिये उसमें ध्रुवमें उत्पाद-व्ययकी अपेक्षा साथमें है।