ट्रेक-
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मुमुक्षुः- देवके भवमें रागकी भूमिकामें उन्हें हमारा स्मरण नहीं आता होगा? समाधानः- वह तो उपयोग रखे तो देखे कि ये सब भक्त यहाँ भरतक्षेत्रमें थे। ... गुरुदेव देवके रूपमें ही थे। पहनावट देवके रूपमें थी। देवके रूपमें पहचान सके कि ये गुरुदेव ही हैं। और गुरुदेवने कहा। ऐसी भावना हो कि गुरुदेव.. चित्र आदि.. स्वाध्याय मन्दिर गयी थी। गुरुदेव यहाँ नहीं है। गुरुदेव कैसे आये? गुरुदेव मानों देवके रूपमें स्वप्नमें यहाँ पधारे। भाव ऐसा हुआ कि गुरुदेव! पधारो, पधारो। गुरुदेवने ऐसा कहा कि, ऐसा कुछ नहीं रखना, मैं तो यहीं हूँ। गुरुदेवने कहा, बहिन! मैं तो यहीं हूँ, ऐसा कुछ नहीं रखना।
प्रशममूर्ति भगवती मातनो जय हो!