Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

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ट्रेक-२५३

नहीं। मेरेमें-से ही सब आनेवाला है। ऐसी प्रतीत और ऐसा ज्ञान स्वयंने नहीं किया। उस जातका अपने स्वभावकी महिमा नहीं आयी है। शुभमें करके संतुष्ट हो गया है। शुभभावमें संतुष्ट हो जाता है। अशुभमें-से शुभमें पलटा किया, परन्तु जो तीसरी भूमिका है, उसमें नहीं जाता है। जो शुद्धात्माकी भूमिका है, उस तरफ नहीं जाता है। इन दोनोंकी ओर पलटता रहता है, तीसरेमें नहीं जाता है।

मुमुक्षुः- तीसरी भूमिका आत्मा..

समाधानः- अन्दर भूमिका है उसमें नहीं जाता है। बारंबार उसका अभ्यास, उसीकी आदत, बारंबार करता रहे तो उसमें-से उग्र पुरुषार्थ जागृत होता है, तब वह पलटता है। पर तरफ जाय, परन्तु बारंबार अपनी ओर प्रयत्न करता रहे, बारंबार उसकी आदत, रटन, प्रयत्न करता रहे तो उस ओर पलटनेका उसे अवकाश है।

मुमुक्षुः- अपूर्वता लगे तो सहज है। परन्तु उसके पहले जो अपूर्वता लगनी चाहिये कि जिससे पुरुषार्थ परसन्मुख-से हटकर स्वसन्मुख हो। वह किस प्रकारकी अपूर्वता है और वह कैसे लगे?

समाधानः- जो गुरुका उपदेश आवे, गुरु कोई अपूर्व बात करते हो कि आत्माका स्वरूप ऐसा है, कुछ अलग है, ऐसा जो उपदेश गुरुदेवकी वाणीमें आवे, उस वाणीकी अपूर्वताका भास स्वयंको लगे कि ये कुछ अपूर्व कहते हैं और आत्माका स्वरूप कोई अपूर्व है। ऐसी अपूर्वता (लगे)। उसे गुरुकी वाणीमें-से कोई अपूर्वता उसे ग्रहण हो, अपनी रुचि-से, यह विभाव है वह तो आकुलतारूप है, परन्तु आत्मा कोई अपूर्व है। गुरुदेवकी वाणीमें-से ऐसी अपूर्वता उसे ग्रहण हो। अपूर्व प्रगट नहीं हुआ है, परन्तु प्रत्यक्ष गुरुकी वाणीमें जो आता है, उसकी अपूर्वता अंतरमें (लगे)। स्वयंकी पात्रता हो उसे ऐसी प्रतीत हो जाती है अप्रगटपने कि आत्मा कोई अपूर्व है। ऐसी उसे रुचि और प्रतीत (हो जाती है)।

सम्यग्दर्शनकी प्रतीति अलग बात है। परन्तु पहले उसे ऐसी रुचि, अपूर्वताकी रुचि हो जाती है कि ये आत्मा वस्तु कोई अपूर्व है। यह बात अपूर्व है, परन्तु आत्मा वस्तु ही अपूर्व है। देव-गुरुकी वाणीमें-से उसे अपूर्वता (लगती है), निमित्त-उपादानका ऐसा सम्बन्ध है। उसे अपूर्वता ऐसी भासित हो जाती है कि ये कोई अपूर्व वस्तु है और अपूर्व पुरुषार्थ करने तरफ उसे अंतरमें रुचि प्रगट होती है। देखा नहीं है, किया नहीं है, परन्तु जिसे प्रगट हुआ ऐसे प्रत्यक्ष गुरु बताते हैं और उसे अपूर्वता भासित हो जाती है।

मुमुक्षुः- देव-गुरुका निमित्त ऐसा है कि जिसमें उसे अपूर्वता भासित होती है।

समाधानः- अपूर्वता भासित होती है। देशना लब्धि प्रगट होती है, इस प्रकार।