Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

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अमृत वाणी (भाग-६)

१०० है। नहीं तो उसका पुरुषार्थ बार-बार छूट जाता है। वह मात्र विकल्प-से नहीं टिकता। अन्दर-से सचमूचमें लगे तो वह टिके। वास्तवमें लगे तो टिके। तो उसका कार्यरूप आये। निर्णयका कार्य आये तो प्रतीति प्रतीतिरूप कार्य लाये।

मुमुक्षुः- पहले तो क्या होता था कि कोरा विकल्प था। भावभासन जिसे कहें ऐसा नहीं था। अब इतना ख्यालमें आता है कि इस प्रकार-से यह ज्ञायक है, उसमें अहंपना करना। परन्तु उसमें आधा घण्टा, एक घण्टा, दो घण्टा अभ्यास किया हो, परन्तु दूसरा प्रसंग आये इसलिये तुरन्त ऐसा लगे कि रागमें एकता हो जाती है।

समाधानः- अभी सहज नहीं है, इसलिये उसमें फिर-से एकता हो जाती है। उसे बारंबार अभ्यास करना चाहिये तो होता है। और रसपूर्वक अभ्यास हो और उसीकी महिमा लगे तो वह अभ्यास बारंबार हो।

मुमुक्षुः- इसीमें उग्र अभ्यास, रुचि, पुरुषार्थ और महिमा। इतना उसे बढना चाहिये।

समाधानः- हाँ, वह बढना चाहिये। अभ्यास, पुरुषार्थ, रुचि, महिमा सब बढना चाहिये।

मुमुक्षुः- .. निर्णय तो निर्णय है। निर्णय हो तो फिर क्यों हट जाय?

समाधानः- निर्णयमें इतना कि यह मैं हूँ, इतना। परन्तु यह मैं हूँ, इससे भिन्न हूँ। परन्तु भिन्न भिन्नतारूप कार्य करे तो प्रतीतिने कार्य किया कहनेमें आये। भिन्नतारूप कार्य नहीं आता है, तबतक प्रतीति ज्योंकी त्यों बुद्धिपूर्वक रह जाती है।

मुमुक्षुः- भिन्नतारूप कार्य आवे तो उसे अतीन्द्रिय आनन्दका आवे, ऐसा कहना है?

समाधानः- भिन्नतारूप कार्य लाकर वह यदि सहज हो तो उसे अतीन्द्रिय आवे।

मुमुक्षुः- उसके पहले भिन्नतारूप कार्य किस प्रकार-से?

समाधानः- उसे भेदज्ञानका कार्य सहज होना चाहिये। फिर वह कितनी बार हो, वह उसके पुरुषार्थ (आधारित है)। किसीको तुरन्त अतीन्द्रिय निर्विकल्प स्वानुभूति हो, किसीको थोडी देर लगे। परन्तु उसे सहज भेदज्ञानकी धारा होनी चाहिये, तो उसे होता है। उसका कारण यथार्थ हो तो कार्य आता है।

मुमुक्षुः- अनुभवके पहले भी ऐसा कोई जुदा कार्य दिखता है?

समाधानः- भिन्न कार्य उसे आना चाहिये, भेदज्ञानकी धाराका कार्य आना चाहिये। भेदज्ञानका कार्य... निर्विकल्प दशाका जो यथार्थ कारण है वह कारण उसे यथार्थ होना चाहिये।

मुमुक्षुः- उस जातका कार्य...

समाधानः- हाँ, उस जातका कार्य। निर्विकल्प दशाका कारण है उस जातका। उसके पहले तो अभ्यास करता रहे। अभ्यास छूट जाय (तो बार-बार करे)।