Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

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अमृत वाणी (भाग-६)

१२२ एक द्रव्यके अन्दर लक्षणभेद और कार्यभेद आदि है।

मुमुक्षुः- ... रखनेके लिये कहा होगा या ... न हो जाय इसलिये गुण इसप्रकार है? स्वतंत्रता बतानेके लिये।

समाधानः- प्रत्येक वस्तु स्वतंत्र ही हैं। परन्तु गुणोंकी स्वतंत्रता है। परन्तु वस्तु- से एक है। उसमें अन्यत्व भेद है, परन्तु उसमें वस्तुभेद नहीं है। परस्पर एकदूसरे- से लक्षण-से भिन्न पडते हैं, परन्तु वस्तु अपेक्षा-से एक हैं। वह स्वतंत्रता ऐसा नहीं है, एक द्रव्य जैसे दूसरे द्रव्य-से स्वतंत्र है, जैसे पुदगल और चैतन्य स्वतंत्र है, दो द्रव्य अत्यंत भिन्न हैं, वैसे गुण और द्रव्य, प्रत्येक गुण-गुण उस प्रकार-से अत्यंत भिन्न नहीं हैं। वस्तु-से एक है और लक्षण-से भिन्न हैं। उसकी भिन्नता अत्यंत भिन्नता नहीं है। प्रत्येक गुणोंकी अत्यंत भिन्नता नहीं है। वस्तु अपेक्षा-से एक है, परन्तु लक्षण- से भिन्न हैं।

मुमुक्षुः- अन्योन्य भेद हुआ?

समाधानः- अन्योन्य अर्थात लक्षण-से भिन्न हैं। उसकी स्वतंत्रता... एक द्रव्य- से दूसरा द्रव्य स्वतंत्र है, वैसे प्रत्येक गण उस प्रकार-से स्वतंत्र नहीं हैं। उसकी स्वतंत्रता लक्षण तक है और कार्य तक है। बाकी वस्तु अपेक्षा-से वह सब एक है। एक ही वस्तुके सब गुण हैं। अनन्त गुण-से बनी एक वस्तु है। अनन्त गुणस्वरूप ही एक वस्तु है। वस्तु अपेक्षा-से एक है, लक्षण अपेक्षा-से भिन्न-भिन्न है। एक द्रव्यके अन्दर अनन्त शक्तियाँ-अनन्त गुण हैं। सबके कार्य सब करते हैं और सबके लक्षण, कार्य एवं प्रयोजन भिन्न-भिन्न है। वह स्वतंत्रता उस जातकी है कि द्रव्यकी स्वतंत्रता है ऐसी स्वतंत्रता नहीं है।

वह तो, जैसे सर्वगुणांश सो सम्यग्दर्शन। सम्यग्दर्शनका गुण प्रगट हो, दृष्टि विभाव तरफ, दृष्टि पर तरफ थी और स्व तरफ दृष्टि जाती है (तो) सम्यग्दर्शन गुण प्रगट होता है। तो उन सबका अविनाभावी सम्बन्ध ऐसा है कि एक सम्यग्दर्शन प्रगट हो तो उसके साथ सर्वगुणांश सो सम्यग्दर्शन (होता है)। सर्व गुणकी शुद्धि आंशिक होती है। सर्व गुणकी दिशा बदलकर अपनी तरफ परिणति होती है। अनन्त गुणकी दिशा बदलकर शुद्धरूप परिणति होती है। एककी शुद्ध होती है सब शुद्धतारूप परिणमते हैं। ऐसा सम्बन्ध है। क्योंकि वस्तु एक है इसलिये।

एक सम्यग्दर्शन प्रगट हुआ तो उसमें ज्ञान भी सम्यक हुआ। चारित्र भी, मिथ्याचारित्र था तो चारित्र भी सम्यक हुआ। सब गुणकी दिशा बदल गयी। क्योंकि एक वस्तुके सब गुण है। ऐसा उसका हो तो दूसरे गुणकी परिणति बदल जाती है। ऐसा अविनाभावी एकदूसरेके साथ सम्बन्ध है।