Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

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ट्रेक-

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गुण नहीं है ऐसा नहीं है। एक वस्तुके अन्दर, एक अभेदमें अनकान्तमय मूर्ति है। दो अपेक्षाएँ एक द्रव्यमें ही होते हैं तो उसकी साधनामें भी सबमें दो-दो अपेक्षाएँ होती है। वस्तु स्वरूप ही अनेकान्तमय मूर्ति है।

मुमुक्षुः- ज्ञाननयमें लिया था, स्याद्वादकी प्रवीणता-से। पहली बात ली।

समाधानः- हाँ, पहली बात ली, स्याद्वादकी प्रवीणता-से।

समाधानः- .. उसकी रुचि जिस ओर काम करती है, उस ओर वह पलटती है। रुचिमें जो उसे योग्य लगे उस अनुसार पलटता है। स्वयं ही, कोई निमित्त नहीं करवा देता। मुनिओंका निमित्त बनता है, परन्तु पलटना स्वयं-से होता है।

... पुरुषार्थ करता है वह सब वर्तमानमें करता है। अमुक जातके संस्कार है, उसमें-से एकदम पलटता है। उन्नति क्रममें आता है। पहले अमुक जातके संस्कार ब्राह्मण तरफके थे वह चले आते हैं। उसमें-से पलटा होता है। पुरुषार्थकी मन्दताके कारण ऐसे ही संस्कार चले आते हैं।

.. मालूम था, ऋषभदेव भगवानके समयमें मरिचीकुमार... महाभाग्यकी बात है। जीव अनादि कालमें परिभ्रमण करते-करते कहाँ-कहाँ परिभ्रमण करता है और पुरुषार्थकी मन्दता-से कहाँ-कहाँ भटकता है। थोडेके लिये कहाँ-कहाँ अटकता है। वह सब अपने लिये जानने जैसा है। ... दूसरेको कितनी सावधानी रखने जैसी है। महावीर-वीरताके कार्य करते हैं (इसलिये) महावीर कहलाते हैं। परिषह सहन किये। अतिवीर, वीर, अतिवीर, महावीर ऐसे सब नाम (आते हैं)। सन्मति। मुनिओंकी शंका दूर हो जाती है तो सन्मति कहलाते हैं।

पूरे लोकमें दिपावली मनाते हैं। निर्वाण उत्सव। भगवानने सिद्ध दशा प्राप्त की परन्तु जगतमें एक उत्सव रह गया। सबको आनन्द, आनन्द, आनन्द ही हो ऐसा उत्सव हो गया। किसीको दुःख होनेके बदले दिपावली आये तो मानो दिपोत्सव आया। सबको आनन्द मंगल होता है। भगवानको आनन्द मंगल हो गया, सबको आनन्द मंगल हो गया। जगतमें ऐसा हो गया है। अंतिम तीर्थंकर। विरहका काल आया तो भी हर जगह आनन्द मंगल हो गया। ऐसा ही कोई दिपावलीका उत्सव हो गया। चौबीसवें अंतिम भगवान। सब लोकमें, अन्य लोक दिपावली (मनाते हैं)। (नूतन) वर्ष बहुत मनाते हैं। अपना नूतन वर्ष अच्छा जाय। नूतन वर्ष। तेरस आये तो महावीर भगवान अंतिम भगवान है। दिव्यध्वनिका दिवस आये।

मुमुक्षुः- किस विधि-से सम्यग्दर्शन और सम्यग्ज्ञान प्राप्त हो?

समाधानः- गुरुदेवने बहुत रास्ता बताया है। गुरुदेवने विभिन्न प्रकार-से बताया है कि मार्ग आत्माको पहिचानना वह एक ही है। और उसका मार्ग भी गुरुदेवने बताया