Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi). Track: 31.

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अमृत वाणी (भाग-२)

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ट्रेक-०३१ (audio) (View topics)

मुमुक्षुः- .. दिन भी है, इसप्रकार परिवर्तन करनेमें पूज्य गुरुदेवने जो महान वीर्य प्रकट किया होगा, उसमें कौन-कौनसी शक्तिने काम किया होगा, यह आप समझाईये तो गुरुदेवके मंगल द्रव्यके बारेमें हमें कुछ ख्याल आये।

समाधानः- वह तो ऐसा है कि सब सहज आये ऐसा है। मैें कुछ कहुँ, ऐसा कछु नहीं है।

मुमुक्षुः- थोडा-थोडा...

समाधानः- एक तो गुरुदेवका क्या प्रसंग बना वह होता है, बाकी कुछ पूछे तो निकले। गुरुदेवने पहलेसे उन्हें कुछ समय बाद नक्की हो गया था कि यह संप्रदाय अलग है और सबकुछ भिन्न है। इसलिये उन्हें हृदयमें ही ऐसा हो गया था कि ये सब छोडने जैसा है। और नक्की किया था कि (ये छोड देना है)।

पहले तो स्थानकवासी संप्रदायमें बराबर उसकी क्रियायोंका पालन करते थे और बराबर (पालते थे), उसमें थोडा भी फर्क नहीं पडता था। उनके शास्त्रमें जो लिखा हो वैसे ही वे बराबर पालते थे। व्होरनेकी-आहारकी, विहारकी आदि सब क्रियाएँ जो उनके स्थानकवासी शास्त्रोंमें होती है, वैसी ही पालते थे। उसमें जितने कपडे रखना लिखा हो, कैसे विहार करना आदि सब वैसा ही करते थे। उनकी आहरकी क्रियाएँ जैसे शास्त्रमें आता था, उस अनुसार उन्हें थोडा भी फर्क नहीं पडे, इसप्रकार करते थे। दूसरे साधु कितने ही कपडोंका ढेर करे, कितना कुछ करे ऐसा सब गुरुदेव नहीं करते थे।

एक गाँवमें अमुक दिनोंसे ज्यादा नहीं रहना, ऐसा गुरुदेव करते थे। बराबर। स्थानकवासी संप्रदायमें तो मुख्य साधु, महान साधु कहलाते थे। आहार लेने जाय तो कुछ फर्क पडे, कोई युवान मर जाय, कोई पानीको स्पर्श कर ले, उनके लिये बनाया है ऐसा मालूम पडे तो तुरन्त ऐसे वापस मुड जाते थे, मानो बिजलीके चमकारेकी भाँति। दूसरोंको सदमा पहुँचता कि ऐसे महापुरुष हमारे घर पधारे और वापस जा रहे हैं। ऐसी उनकी क्रिया थी। आहार लेने पधारे तब सब काँपते थे कि हमसे कोई भूल न हो जाये। ऐसी सख्त क्रिया थी। और दूसरे साधु थे, ऐसा है, ऐसा है, ऐसा सब (होता था)।