Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

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ट्रेक-०३१

गुरुदेवको कुछ नहीं था। निस्पृह जैसी उनकी क्रियाएँ स्थानकवासी संप्रदायमें जोरदार थी।

उसमें उन्हें ख्याल आया कि मुनिपना तो कोई अलग ही है, यह मुनिपना नहीं है। यह सब तो (मुनिपना नहीं है)। मुनिपना तो दिगंबरका कुन्दकुन्दाचार्यने कहा वह मुनित्व है, यह नहीं है। इसलिये उन्हें फेरफार करनेका विचार आया कि इसमें रहना और ये सब उनकी क्रियाएँ, अन्दर ये दशा! मुनिकी दशा तो अलग होती है (और) ये सब अलग है। इसलिये उन्हें फेरफार करनेका विचार आया।

मुमुक्षुः- जैसी आज्ञा हो, उस अनुसार ही था और उसमें भी किसी भी प्रकारका..

समाधानः- भगवानकी जो आज्ञा है उस आज्ञा अनुसार बराबर पालन करना। ऐसे उन्होंने अंतर वैराग्यसे दीक्षा ली थी, इसलिये वे बराबर वैसा ही पालते थे और महात्मा कहलाते थे। महान कहलाते थे। फिर उन्हें ऐसा लगा कि यह जूठा है। परन्तु उनकी ख्याति इतनी थी कि इस संप्रदायको धक्का पहुँचेगा। इसलिये बहुत विचार किया। एक साथ बोल नहीं पाती हूँ, थोडी देर बाद बोलती हूँ।

... स्थानकवासी संप्रदायका बन्धन न हो, शांत.. सोनगढमें कोई नहीं था, स्थानकवासीका ऐसा कोई जोर नहीं था, इसलिये यहाँ उन्होंने पसंद किया। यहाँ हरगोविंदभाई आदि थे, यहाँ हीराभाईके बंगलेमें सब नक्की किया। लेकिन छोडनेके बाद बहुत विरोध हुआ। विरोधी अखबार बहुत निकले थे। सब भक्तोंको पूछते कि ये सब छोडना है। सबको बहुत प्रेम था, गुरुदेव आपको जो किया, वह बराबर है। कितने तो ऐसा ही कहते थे। फिर तो सब लोग मुडने लगे।

मुमुक्षुः- खासकर जो समझदार वर्ग था, वह सब..

समाधानः- समझकर ही किया होगा, ऐसा जिनके हृदयमें गुरुदेवका स्थान हो गया था, वे सबकुछ आत्मार्थके लिये ही करने वाले हैं, उनका ज्ञान कोई अलग है, ऐसा सब मानते थे। वे सब मुडने लगे। पहले तो खास नहीं आये। बहुत विरोधी अखबर आये न इसलिये। कुछ लोग (ऐसा कहते थे), गुरुदेव! आप जहाँ जाओगे वहाँ हम आयेंगे। आप जो कहते हो, सब कबूल है। कितने ही भाई, कितने ही बहनें सब तैयार थे। यहाँ जोरावरनगरमें बहुत लोगोंको गुरुदेव पूछते थे। वढवाणके दासभाई, मगनभाई सबको कहते थे। पहले तो यहाँ जोरावरनगरमें करना था, लेकिन वहाँ चारों ओर स्थानकवासी (रहते थे), सुरेन्द्रनगरमें स्थानकवासी, वढवाणमें स्थानकवासी, बीचमें जोरावरनगर था। वह छोटा था, लेकिन बीचमें रहनेसे तो विरोध होगा, इसलिये यहाँ नक्की किया।

श्रीमदके आश्रम वाले कहते थे कि हमारे आश्रममें पधारिये। लेकिन गुरुदेव कहते