Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

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ट्रेक-२७४

मुमुक्षुः- मान्यताकी भूल-से ज्ञानमें भूल होती है।

समाधानः- हाँ, मान्यताकी भूल-से ज्ञानमें भूल होती है। बाकी स्वयं तो जाननेवाला ज्ञायकस्वभावी है। जाननेवाला तो जाननेवाला है, परन्तु उसकी मान्यताकी भूल होती है। जूठ मानता है। ज्ञानका जाननेका जूठा हो रहा है, मानों परमें-से ज्ञान आता है और स्वयं मानों बाहर जा रहा है। मैं स्वयं ज्ञायकरूप हूँ, ऐसा ज्ञान नहीं है। मैं स्वभावरूप-ज्ञानस्वभावरूप ही हूँ। स्वभावरूप है सही, लेकिन स्वभावरूप ही हूँ, ऐसा ज्ञान नहीं है।

मुमुक्षुः- अज्ञानीको जो इन्द्रियज्ञान है और ज्ञानीका इन्द्रियज्ञान, ये दोनों इन्द्रिय ज्ञानमें कुछ फर्क है?

समाधानः- ज्ञानीको यथार्थ ज्ञान है। इसलिये उसे ज्ञान भेदज्ञानपूर्वकका ज्ञान होता है, एकत्व नहीं होता। उसे जाननेकी अपेक्षा-से, बाहरका जाने उस जाननेकी अपेक्षा- से समान है, परन्तु इसकी दिशा अलग है, उसकी दिशा अलग है। ज्ञानी अलग दिशामें रहकर जानता है। उसकी दिशा स्व तरफकी है, स्वकी दिशामें रहकर, स्वको रखकर पर तरफ जाता है, परन्तु स्वको छोडता नहीं है। उसकी दिशा अलग और इसकी दिशा अलग है। (अज्ञानी) मानों बाहर चला गया इस तरह जानता है। बाहरका जानना कि ये किवाड है या ये है, वो है, जाननेकी अपेक्षा-से सरीखा है, परन्तु उसकी दिशा अलग है। अलग दिशामें खडा रहकर जानता है। और वह अलग दिशामें खडा रहकर जानता है (अर्थात) एकत्व करके जानता है। (ज्ञानी) भिन्न रहकर जानता है। उसकी दिशा पूरी अलग है। देखने-देखनमें अंतर है।

इसीलिये कहते हैं, ज्ञानकी परिणति सब ज्ञानरूपी ही परिणमती है। उसकी दिशा ही अलग है। ज्ञायक रहकर ही (जानता है), एकत्व नहीं होता है, भिन्न ज्ञायक रहकर जानता है। स्वयं स्व तरफ परिणति रखकर पर तरफ जो उपयोग जाता है, वह भिन्न रहकर जानता है। जाननेकी पूरी दिशा अलग है। इसलिये इसका जाना हुआ ज्ञान कहलाता है, उसका जानना अज्ञान कहलाता है। स्वको जानता नहीं है, एकत्व करके जानता है।

स्वयं भिन्न रहकर (जानता है)। इन्द्रियों-से मुझे लाभ होता है, उसके आश्रय- से मैं जानता हूँ, ऐसी उसकी श्रद्धा है। भिन्न रहकर जानता है। स्वयं अपने स्वतः परिणमनको भिन्न रखता है। इस तरह जानता है।

मुमुक्षुः- जाननेकी अपेक्षा-से दोनों इन्द्रियज्ञान सरीखा?

समाधानः- जाननेकी अपेक्षा-से। परन्तु उसकी परिणति पूरी अलग दिशामें है।

मुमुक्षुः- अतीन्द्रिय ज्ञानकी परिणति प्रगट हो गयी है।

समाधानः- प्रगट हुयी है, उस पूर्वक (जानता है)। अभी अधूरा है इसलिये