२७४
मुमुक्षुः- सर पर मुगट पहना था।
समाधानः- हाँ, मुगट आदि।
मुमुक्षुः- आकृति, मुखाकृति...
समाधानः- देवके रूपमें, परन्तु स्वप्नमें पहचान ले कि ये गुरुदेव हैं। आकृति आदि सब देव जैसा। यहाँ-से थोडा फर्क होता है। यहाँ भी ऐसे ही थे। परन्तु रूप देवका था। परन्तु पहचान हो जाय कि गुरुदेव देवके रूपमें पधारे हैं। गुरुदेव देव हुए हैं और देवके रुपमें पधारे हैं। ऐसे स्वप्नमें जान सकते हैं।
मुमुक्षुः- आपका वार्तालाप तीर्थंकर और गुणधरका हो वैसा वार्तालाप स्वप्नमें हुआ होगा?
समाधानः- माहोल ऐसा हो गया कि गुरुदेव है। उसके बाद माहोल (ऐसा हो गया कि), सूर्यकीर्ति भगवान पधारे, वह सब उसके बाद हुआ। मैंने तो किसीको कुछ कहा नहीं था। उसके बाद हुआ। प्राणभाई आदि सबने घोषणा की, उसके बाद हुआ।
मुमुक्षुः- उसके बाद हर गाँवमें सूर्यकीर्ति भगवान पधारे।
मुमुक्षुः- प्राणभाई एक-डेढ साल-से सूर्यकीर्ति भगवानका कहते थे।
समाधानः- पहले नहीं कहा था। उस दिन रथयात्रा निकली। सबको गुरुदेव विराजते हों और कैसा हो, ऐसा सबको मनमें तो होता है, परन्तु वातावरण ऐसा हो गया। नहीं तो हर साल तो...
मनुष्यमें शक्ति नहीं होती। देवोंको तो सब शक्ति होती है। हर जगह जानेकी, आनेकी, भगवानके पास जाय, गुरुदेव सीमंधर भगवानके पास जाते हैं। उन्हें तो अवधिज्ञान- से सब जाननेकी शक्ति (है)। उपयोग रखे तो भरतक्षेत्र, विदेहक्षेत्र यहाँ बैठकर भी देख सकते हैं। अवधिज्ञान-से जान सके ऐसी देवोंकी शक्ति होती है। गुरुदेव तो विराजते ही हैं। देवमें तो भगवानके पास जाते हैं।
मुमुक्षुः- आपकी मंगल छत्रछायामें .. उजवायेगा। आपको आशीर्वाद दे जाय और सबको सुनने मिले ऐसी भावना भाते हैं। बार-बार उन्हें स्वप्नमें दर्शन दे और हमको उनके मुख-से सुननेको मिले।
समाधानः- भगवानके रूपमें गुरुदेव पधारनेवाले हैं। अपने भाव-से स्थापना करते हैं। जिनप्रतिमा जिन सारीखि। विचरते होंगे उस दिन तो पूजा, भक्ति होगी, अभी तो देर है, परन्तु यहाँ अभी स्थापना करके पूजा, भक्ति गुरुदेवकी करनी है। यहाँ पधारेंगे तब भरतक्षेत्रकी पूरी दिशा बदल जायगी। पूरा भरतक्षेत्रका वातावरण यहाँ तीर्थंकर भगवान (होंगे)। छठ्ठा काल जायगा और उसमें-से एकदम परिवर्तन आयेगा। भरतक्षेत्रमें उत्सर्पिणी काल आयेगा। सब बढता हुआ आयेगा। वृद्धिगत होता जायेगा। महापद्मप्रभु भगवान