Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

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अमृत वाणी (भाग-२)

१८६ जाये कि इसमें ऐसा कहना चाहते हैं। कोई बातके बीचमें बोले, इसलिये ख्याल आ जाये। मुखमुद्रा पर जो उल्लास हो, वह दिखलाई देता है न? तीर्थंकर हूँ, ऐसा मुझे आता था। इतना। ... कुछ नहीं पूछा। दूसरा तो कुछ पूछे। मुझे लगता था, गुरुदेवको बताना कोई आसान बात नहीं थी। गुरुदेवने सब शास्त्रके रहस्य प्रकाशित किये। श्वेतांबर शास्त्र एवं दिगंबर शास्त्र (पढनेके बाद), श्वेतांबरमें सब जूठा है, सब नक्की किया। इतनी सत्यके परीक्षक, उनके आगे कहना वह कोई (आसान नहीं था)। उसमें भी भाईओं भी गुरुदेवके आगे कुछ कहनेमें डरते हैं, तो बहनोंको बोलना वह तो कितनी बडी बात है। वह कोई आसान बात नहीं है।

कोई भाईओंको कुछ बात करनी हो तो गुरुदेव कुछ पूछे तो बोलना कुछ होता था, और बोल देते और कुछ, ऐसा भी किसीको हो जाता था। फिर तो गुरुदेव धीरे-धीरे कम... पहले तो संप्रदाय छोडा था, किसीके सामने भी नहीं देखते थे। शुरुआतमें तो ऐसा था। गुरुदेवको कहना और वे ऐसे ही मान ले, ऐसी कोई आसान बात नहीं थी। अपने भाव देखे, अपना हृदय देखे, कहाँसे बोलते हैं, कितनी गहराईसे बोलते हैं, (भाव) कैसा है, सब देखते। वे तो परीक्षक थे। उन्होंने परीक्षाके लिये पूछा था। ... परीक्षाके लिए पूछते थे। उसमेंसे फिर यह पूछा। .. खडे रहनेमें जिसका हृदय सच्चा है, वही खडा रह सकता है, अन्य कोई खडा नहीं रह सकता, गुरुदेवके प्रश्नके आगे। सीधे प्रश्न नहीं पूछते थे, दूसरे प्रकारसे पूछते थे।

पहला प्रश्न कैसा था? कालका था। सीधा नहीं पूछते थे। किसीको ऐसा लगे कि गुरुदेव ऐसा बोलते हैं, .... सीधा पूछे। ऐसा किसीको हो जाये। कोई आसान बात थी? कितना विचार करके नक्की करनेवाले। कोई भाईओंको कुछ कहना हो तो दिक्कत होती है, तो फिर यह सब अंतरकी बात गुरुदेवके आगे कहनी, वह तो अंतरकी कितनी दृढता हो तो कह सकते हैं। गुरुदेवके आगे कहना कोई आसान बात नहीं था। किसी-किसीको कहते थे, कोई-कोई आते थे उसको कहते थे।

वे तो श्रुतधरोंका परिचय करने आये थे। दूसरे सबके साथ चर्चा-प्रश्न करने थोडे ही ना आये थे। भरतक्षेत्रमेंसे भगवानकी वाणी सुनने (आये थे)। कोई बातचीत करे तो भी कोई श्रुतधर मुनिके पास उनकी शंकाका समाधान करने आये थे। दूसरेके साथ बातचीत कम करते थे। इसलिये कुछ मालूम नहीं था।

ऐसा भी कहते थे, यह द्रव्य तीर्थंकरका है। ऐसा मुझे पहलेसे आया था कि यह द्रव्य तीर्थंकरका है। मुझे कुछ मालूम नहीं था। मुझे तो अन्दरसे आया था। ऐसा कुछ मालूम नहीं था। मुझे तो आत्माका करनेमें क्या सत्य और कैसे सत्य है, यह नक्की करनेमें मेरा जीवन था। उसमें गुरुदेव तीर्थंकर है (ऐसा कुछ सोचा भी नहीं था)।