Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

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ट्रेक-

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मुमुक्षुः- गुरुदेवका ही मार्ग चल रहा है।

समाधानः- मुनिओं-से, उनकी साधना-से सब चले। परन्तु उनके जैसी वाणी किसीकी नहीं होती।

मुमुक्षुः- ... तीर्थंकरका था, तो उनकी वाणीमें ऐसी सातिशयता थी या उनको सुननेवालोंमें भी बहुत मार्गको प्रवर्तानेवाले उनके पीछे (होते हैं)?

समाधानः- उनकी वाणीमें ऐसा अतिशय था। कुछ तैयार होते हैं, आत्मामेें तैयार हो जाते हैं। उनका अतिशय ऐसा था। अनेक जीव जागृत हो जाय, आत्मामें। उसका पुण्यका मेल नहीं होता। .. परन्तु भगवान जैसी वाणीका अतिशय और वैसी जो रचना होती है, वह नहीं होता। वीतरागी वाणी (होती है), वाणीमें वीतरागता बरसती है।

मुमुक्षुः- केवलज्ञान प्राप्त कर ले वह अलग बात है।

समाधानः- हाँ, केवलज्ञान प्राप्त कर ले, परन्तु बाहरका सब वैसा ही हो ऐसा नहीं। उसके साथ किसीका मेल नहीं होता।

आचार्यके बाद आचार्य, ऐसे स्थापना हो सकती है। भगवानके साथ किसीकी स्थापना नहीं हो सकती। गुरुदेव तीर्थंकर जैसे वर्तमानकालमंें हुए, वह द्रव्य ही ऐसा था।

मुमुक्षुः- तीर्थंकरका द्रव्य और वैसा ही योग।

समाधानः- तीर्थंकरका द्रव्य था। आचार्यके बाद आचार्य होते हैं, मुनिके बाद मुनि होते हैं। ऐसा होता है। .. वैसा अतिशय या वृंदका वृंद तैयार हो, ऐसा नहीं होता। गुरुदेव-से सब समूह तैयार हुआ, ऐसा सब नहीं हो सकता।

समाधानः- विकल्प रहित जो आनन्द आवे, वह आनन्द और विकल्प रहित आनन्द, अन्दर राग छूटकर जो आनन्द आवे, उस आनन्दमें फर्क होता है।

मुमुक्षुः- ..

समाधानः- वह तो अंतर्मुहूर्तकी ही स्थिति होती है। .. फिर तो दशा तो स्वयं अधिक पुरुषार्थ करे तो होती है। पुरुषार्थ करे। अभी द्रव्य और पर्यायका मेल समझना चाहिये कि द्रव्य और पर्याय क्या है।

मुमुक्षुः- परिणामी आत्मा और अपरिणामी।

समाधानः- परिणामी है। किस अपेक्षा-से परिणामी है? किस अपेक्षा-से नहीं है। वह सब अपेक्षा समझकर उसका मेल करना चाहिये। विकल्प-से रहित आत्मा है। आत्मामें है ही नहीं ऐसा नक्की किया, परन्तु उसकी गौणतामें देखे तो विकल्प है। परन्तु विकल्प मूल स्वरूपमें नहीं है।

जैसे स्फटिक मणि है वह स्वभाव-से निर्मल है। निर्मल है, परन्तु लाल-पीले फूलका