Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 203 of 1906

 

२०३
ट्रेक-०३५

होती हैं, उसका ज्ञान कर। मुख्य एक आत्माको ग्रहण कर। यथार्थ ज्ञान होगा तो तेरी साधना यथार्थ होगी। इसलिये यथार्थ ज्ञान कर। और दृष्टिमें मुख्य एक जीवद्रव्यको रख, उस पर दृष्टि कर। आचार्यदेवका यह कहनेका आशय है। अलग-अलग मात्र जाननेके लिये जान लेना, ऐसा नहीं है। एक श्रद्धा कर लेनी कि जीव है, पुण्य है, आस्रव है, पाप, संवर, बन्ध, मोक्ष आदि है, ऐसी श्रद्धा कर ली, ऐसा नहीं। एक आत्मतत्त्वको ग्रहण कर और उसकी यह पर्याय है, उसका ज्ञान कर। उसमेंसे साधना होती है। ऐसा आचार्यदेवका कहनेका आशय होता है। व्यवहार कहकर अन्दर निश्चय आत्माको बताना है।

आचार्यदेवके सब कथन रहस्यमय होते हैं। एक सम्यग्दर्शन प्रगट कर तो उसमें पूरा मुक्तिका मार्ग आ जाता है। उसमें सम्यग्दर्शन, मुनिदशा, केवलज्ञान (सब प्रगट हो जाता है)। एक सम्यकत्व ग्रहण किया, जो अनादिसे प्रगट नहीं हुई ऐसी स्वानुभूति प्रगट हुई उसमें पूरा मुक्तिका मार्ग प्रगट हो गया। उसमें पूरा मार्ग स्पष्ट हो गया। इसलिये सात तत्त्वकी श्रद्धामें एक भूतार्थ दृष्टिसे तू सब जान, ऐसा आचार्यदेवको कहना है। व्यवहारसे बात करे इसका मतलब उसमेंं आचार्यदेवकी गहरी बात होती है। जो नहीं समझते हैं इसलिये उसे व्यवहारसे बात करते हैं। परन्तु आचार्यदेवको गहरी बात समझानी होती है।

मन्दिर जाना है ऐसा कहे। मन्दिर जानेका हेतु भगवानके दर्शनका है। कोई कहे कि भगवानके दर्शन करने हैं और कोई कहता है, मन्दिर जाना है। मन्दिर जानेमें सहेतु तो भगवानके दर्शनका होता है। सिर्फ मन्दिर जाना है उतना ही हेतु नहीं होता, परन्तु भगवानके दर्शनका होता है।

ऐसे कोई सीधा आत्मा कहे तो और व्यवहारसे बात करे उसमें एक आत्माका होता है। मन्दिर जाना है ऐसा कहनेमें हेतु भगवानके दर्शन करनेका है। वैसे ज्ञान, दर्शन, चारित्रकी बात करे तो उन तीनोंमें एक आत्मा ग्रहण कर। आत्माको साध्य रखकर साधकदशामें ज्ञान, दर्शन, चारित्र सब आता है।

मुमुक्षुः- मन्दिर जा, ऐसा कहे उसका मतलब...

समाधानः- मन्दिर जाना है इतना ही नहीं, भगवानके दर्शन करने जाना है।

मुमुक्षुः- तुरन्त समझ भी जाये कि मन्दिर जानेका कहा है मतलब दर्शन करने है।

समाधानः- भगवानके दर्शन करनेको कहा है।

मुमुक्षुः- सात तत्त्वका ज्ञान और श्रद्धान कर, वह आत्माका ज्ञान एवं श्रद्धान करानेको कहा है।