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उसे स्वयं ग्रहण करे तो मार्ग प्राप्त हुए बिना रहता नहीं। ग्रहण स्वयंको करना है।
मुमुक्षुः- गरीबोंको क्या करना? यहाँ सभी साधनसंपन्न सुखी लोग ही धर्म पालते हैं।
समाधानः- ऐसा कुछ नहीं है। यहाँ साधनसंपन्न लोग पालते हैं ऐसा नहीं है। यहाँ सब साधनसंपन्न लोग ही है ऐसा नहीं है। सब पालते हैं। सोनगढमें तो सभी प्रकारके लोग रहते हैं।
मुमुक्षुः- समवसरणमें तो सभी आते हैं। उत्तरः- सब आते हैं। तिर्यंत भी आते हैं और सब आते हैं। देव भी आते हैं, मनुष्य भी आते हैं, चक्रवर्ती भी आते हैं, निर्धन भी आते हैं और सधन भी आते हैं। निरोगी भी कर सके और रोगी भी कर सके, निर्धन भी कर सके और सब कर सकते हैं।
मुमुक्षुः- मेरे मित्र क्रिश्चियन हैं, उनके समाजमें अग्रणी कार्यकर्ता है। समाधानः- इस कालमें जन्म हुआ, महाभाग्यकी बात है, (गुरुदेवने) बहुत लोगोंको जागृत किये।