Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

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ट्रेक-

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इसलिये फिर लखते थे। बाकी कंठस्थ ही होता था। वह कैसी शक्ति होगी! उनको उस प्रकारका विकल्प आया तो षटखण्डागम आदिकी रचना की। आचायाको भिन्न- भिन्न प्रकारके विकल्प आते हैं। कोई अध्यात्मका लिखे, कोई चरणानुयोगका लिखे, कोई करणानुयोगका लिखे, लेकिन सब मुनि स्वानुभूतिमें झुलनेवाले। सबको अन्दर आत्मा मुख्य होता है। लेकिन किसीको यह विकल्प आये, किसीको यह लिखनेका विकल्प आये।

... वीतरागदशा, केवलज्ञान, ध्येय पूर्ण वीतराग होनेका है। स्वानुभूतिमें झुलते हैं। उसमें बीच-बीचमें शुभभावमें रुकते हैं, वहाँ ऐसे शास्त्र लिखते हैं। सब जीवोंको उपकारभूत होता है। आचार्यदेव (कहते हैं), मम परमविशुद्धि... मेरी विशुद्धिके लिये मैं यह लिखता हूँ, ऐसा आचार्यदेव कहते हैं। फिर पीछे कहते हैं, मैंने तो कुछ नहीं किया है। अमृतचंद्रसूरिने तो कुछ नहीं किया है, इन शब्दोंने किया है। आचार्यदेवकी कैसी दशा होती है!

.. अर्थ करनेकी शक्ति थी। एक शब्द और एक पंक्तिमें कितना निकलता था! मानो पूरा ब्रह्माण्ड खडा करते हो। उतना विस्तार उनका सहज आता है। चारों ओरके पहलू मानों पूरे ब्रह्माण्डका स्वरूप एक शब्दमें कहते हो। एक पंक्तिमें उनको उतना आश्चर्य लगता।

मुमुक्षुः- अर्थ करनेसे पहले ही उनको आहा.. ऐसा हो जाता था।

समाधानः- हाँ, आहा.. हो जाता था।

मुमुक्षुः- कितने ही घण्टो चलता।

समाधानः- हाँ, चाहे जितनी बार स्वयं पढे तो स्वयंको आश्चर्य ही लगता था। देव-गुरु-शास्त्र तो साथमें ही होते हैं। आचार्यदेव कहते हैं कि, मैं जा रहा हूँ, उसमें सब पंच परमेष्ठीको स्वयं बुलाते हैं। मैं दीक्षा लेता हूँ, उसमें आप सब पधारिये। देव- गुरु-शास्त्र तो साधनामें साथमें होते हैं। भले स्वानुभूतिमें झुलते हो, बाहर आते हैं वहाँ श्रुत होता है। देव-गुरु-शास्त्र तीनों होते हैं। श्रुत चिंतवनरूप होता है। उसमें उपयोग घुमता रहता है। परन्तु देव-गुरु-शास्त्र सब होते हैं। वाणी-श्रुत भगवानके पाससे आयी है। भगवान ही उसमें मुख्य हैं। सब वाणी भगवानके पाससे आयी है।

... उसे मार्ग बताते हैं। पंचमकालमें गुरुदेव पधारे, वह तो महाभाग्यकी बात है। वह सब तो आश्चर्यकारी है, परन्तु यह धरसेनाचार्यने जो किया है वह सब भी आश्चर्यकारी है। श्रुत तो आश्चर्यकारी ही होता है। लेकिन उसमें चारों अनुयोग आ जाते हैं।

मुमुक्षुः- कोई चरणानुयोगके शास्त्र लिखते होंगे, कोई द्रव्यानुयोगके। तो वैसी- वैसी स्वयंकी शक्ति होगी उस अनुसार (लिखते होंगे)?

समाधानः- वैसी शक्ति होती है और उस प्रकारका उनको विकल्प आता है।