Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

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अमृत वाणी (भाग-२)

२२६ द्रव्यकी ओरकी जो शुद्ध पर्यायें प्रगट होती है। इसलिये पर्याय बिनाका द्रव्य नहीं है। द्रव्यमें पर्याय है, पर्यायें होती है, परिणति होती है। और पर्यायकी अपेक्षासे हानि- वृद्धि लागू पडती है। पर्याय अपेक्षासे। द्रव्य अपेक्षासे लागू नहीं पडती। पर्याय अपेक्षासे साधनाकी पर्याय प्रगट हुयी। सम्यग्दर्शन, छठ्ठा-सातवाँ गुणस्थान, आगे बढा, पर्यायमें शुद्धि बढती गयी, श्रेणी लगायी, सब पर्याय अपेक्षासे कहा जाता है। केवलज्ञान प्रगट हुआ, सब पर्याय अपेक्षासे है। और वह पर्याय द्रव्यकी ही है। इसलिये द्रव्य और पर्यायको अभेद करके कहें तो द्रव्य शुद्धरूप परिणमित हुआ, द्रव्यमें केवलज्ञान हुआ, द्रव्य अपेक्षासे ऐसा कहा जाये। द्रव्य और पर्याय, दोनोंको अभेद करके कहें तो।

और पर्याय और द्रव्य, ऐसे भेद करके कहो तो द्रव्यमें कुछ नहीं है, द्रव्य तो अनादिअनन्त जैसा है वैसा ही शुद्ध है। बाकी पर्यायमें सब (फेरफार होता है)। और पर्याय कहीं पडी है और द्रव्य कहीं पडा है, द्रव्य कुछ अलग ही वेदन करता है और पर्यायमें कुछ और ही वेदन है, ऐसे दो भाग नहीं है। वह सब वेदन स्वयंको ही होता है। (पर्यायका) वेदन कोई और करे और (द्रव्यका) वेदन कोई और करे, ऐसा नहीं है। जो पर्यायमें होता है उसका उसे ज्ञान होता है कि यह पर्यायका वेदन है, यह द्रव्य है, यह पर्याय है, ज्ञानमें सब ख्यालमें होता है। क्योंकि द्रव्य और पर्याय सब अभेद है। वैसे दो टूकडे नहीं है कि बिलकूल दो द्रव्य हो, ऐसे दो टूकडे नहीं है। भेद अपेक्षा है (उसमें) द्रव्यका स्वरूप और पर्यायका स्वरूप एक क्षण मात्र है और वह अनादिअनन्त है, शाश्वत है। इस अपेक्षासे उसका स्वरूपभेद है, परन्तु वस्तुभेद नहीं है।

मुमुक्षुः- माताजी! आत्मानुभूतिके पहले प्रमाण, नय, निपेक्षसे आत्माका कैसा निर्णय करना?

समाधानः- जानना चाहिये। आत्माका द्रव्य अपेक्षासे क्या स्वरूप है, पर्याय अपेक्षासे क्या स्वरूप है। प्रमाण अपेक्षासे द्रव्य और पर्याय दोनोंका स्वरूप समझे। द्रव्यदृष्टिको मुख्य रखे। दृष्टिमें मुख्य द्रव्य होता है, पर्याय गौण होती है। नय और प्रमाणसे ऐसा विचार करे।

मुमुक्षुः- और निक्षेपसे?

समाधानः- खास तो मुख्य नय और प्रमाण होता है। निक्षेप तो बीचमें आता है कोई आक्षेप करनेको। यह वस्तु है, भगवानकी प्रतिमा है तो भगवान है, निक्षेप ऐसे होता है। कोई भविष्यमें केवलज्ञानी होनेवाला है तो उसे वर्तमानमें केवलज्ञानी है, ऐसा कहना वह निक्षेप है। आगे होनेवाले हैं, भूतकालमें हो गये हैं, उसे वर्तमानमें कहना-आक्षेप करना वह निक्षेपमें होता है। ऐसा नयमें भी होता है, निक्षेपमें भी होता