२३० वैसाका वैसा रहता है। द्रव्य अनादिअनन्त और पर्यायमें (ऐसा है), दोनोंको समझना। उसके दो भाग कर दे (ऐसा नहीं होना चाहिये)।
मुमुक्षुः- शब्दमें तो ऐसा आये कि एक भाग, फिर भी...
समाधानः- नहीं, दो भाग नहीं है। द्रव्यके दो भाग है, वैसे दो भाग नहीं है। अपेक्षासे भाग है। ... संख्या आदिसे भेद है। उसका स्वरूप भिन्न-भिन्न है। स्वरूपभेदसे भेद है, वस्तुभेदसे भेद नहीं है।
मुमुक्षुः-.... और भगवान घरमें विराजमान किये हैं...
समाधानः- गुरुदेवकी वाणी शरण है। गुरुदेवने सबको बहुत उपदेश दिया है। करना वही है। दिखाई देता है कि संसार ऐसा है। ऐसा समय आये तब किसीके साथ कोई सम्बन्ध नहीं है। जब आयुष्य पूर्ण होता है तब ... कोई उसे रोक नहीं सकता। संसार ऐसा ही है। यह शरीर और आत्मा भिन्न है, प्रत्यक्ष दिखता है। आत्मा स्वयं चला जाता है। कोई रोकी नहीं सकता। इसलिये अन्दर जो संस्कार होते हैं वही साथ आते हैं।
ऐसे जन्म-मरण अनन्त हुए, उसमें स्वयं अकेला जन्मता है, अकेला मरे, अकेला ही भावना करे, स्वयं अकेला स्वर्गमें, अकेला मोक्षमें, हर जगह अकेला ही जाता है। संसारके सब सम्बन्ध ऐसे ही है, सब क्षणिक है। अनन्त जन्म-मरण करते-करते गुरुदेव मिले और यह मार्ग दर्शाया, वह एक आश्रयभूत है। शरण तो वही है। जीवने कितने जन्म-मरण किये है। उसमें यह मनुष्यभव मिला। अनन्त जन्म-मरण, अनन्त जन्म- मरण जीवने किये।
इस लोकमें जितने पुदगल द्रव्य हैं, उसे जीवने शरीर पर धारण करके, ग्रहण करके छोडे हैं। आकाशके एक-एक प्रदेशमें जन्म-मरण किया है। असंख्यात अध्यवसाय किये हैं। अनन्त काल रखडा है। अनन्त बार देवमें गया, अनन्त बार नर्कमें गया, अनन्त तिर्यंचके भव किये, अनन्त भव मनुष्यके किये। उसमें जिस भवमें यह धर्म हो और आत्माका शरण (प्राप्त हो), ज्ञायकका शरण और देव-गुरु-शास्त्रका शरण वह सच्चा है। जगतमें जीवको सब प्राप्त हुआ है, एक आत्मा नहीं प्राप्त हुआ। गुरुदेव कहते थे, एक सम्यग्दर्शन अपूर्व है, वह प्राप्त नहीं हुआ है। भगवान नहीं मिले हैं। भगवान मिले तो स्वयंने पहचाना नहीं। इसलिये वही ग्रहण करने जैसा है। वह कैसे प्राप्त हो, वही करने जैसा है। देवलोकके देवोंका सागरोपमका आयुष्य होता है तो वह आयुष्य भी पूर्ण हो जाते हैं। उसे ऐसा लगता है कि मानो यह तो अमर है। देवलोकको अमरापुरी कहते हैं, तो भी वे अमर नहीं रहते। सागरोपमके आयुष्य पूरे हो जाते हैं। फिर उसका माला मुरझाती है तो उसे मालूम पडता है कि आयुष्य पूरा हो रहा है।