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ऐसा अभ्यास हो रहा है कि यह शरीर, ये विकल्प सबके साथ एकत्वबुद्धि (हो रही है)। स्थूलबुद्धिसे शरीरसे भिन्नता करे कि ये शरीर जड है, कुछ जानता नहीं। लेकिन विकल्पके साथ जो एकत्वबुद्धि हो रही है, उसमें ज्ञायक भिन्न है, उस ज्ञायकको ग्रहण करने हेतु सूक्ष्म होकर स्वयं ज्ञायकको भिन्न करे तो भिन्नता होती है।
उतना सूक्ष्म नहीं होता, उतना प्रयत्न करता नहीं, उसे उतनी अन्दरमें लगी नहीं, उतनी लगनी लगे तो होता है। उसके बिना कहीं चैन नहीं पडे, सुहाये नहीं, अन्दरसे उतनी लगनी चाहिये। भले बहुत बार अभ्यास करे, घण्टों तक बैठे, लेकिन अन्दर गहराईसे उसे जोप्रयत्न चलना चाहिये, वह प्रयत्न चलता नहीं। बार-बार वहीं खडा हो जाता है। एकत्वबुद्धि होनेसे मैं भिन्न हूँ, भिन्न हूँ, ऐसी भावना करे, लक्षणको पहचाने कि ये जाननेवाला मैं हूँ, इसप्रकार विकल्पसे नक्की करे, लेकिन उस रूप परिणति हो जानी चाहिये, उस रूप जीवन हो जाना चाहिये, अन्दरकी परिणति ऐसी हो जानी चाहिये कि मैं तो ज्ञायक ही हूँ, प्रतिक्षण मैं ज्ञायक हूँ। बैठकर अभ्यास करे यानी प्रतिक्षण मैं ज्ञायक ही हूँ।
जैसे विकल्पकी जाल लगातार चलती है, वैसे उसे प्रतिक्षण ऐसा सहज हो जाना चाहिये कि मैं तो ज्ञायक ही हूँ, इसप्रकारका प्रयत्न अन्दर चलता नहीं। जीवन उस रूप हो जाना चाहिये अर्थात ऐसा सहज हो जाना चाहिये कि मैं ज्ञायक हूँ। उसकी उतनी महिमा आये, उतना प्रयत्न चले, उस रूप जीवन हो जाये कि मैं तो ज्ञायक ही हूँ। सहजरूपसे। विकल्परूप चले वह अलग है, लेकिन मैं ज्ञायकरूप ही हूँ, यह शरीर मैं नहीं हूँ, मैं तो ज्ञायक हूँ। ज्ञायककी ओर ही दृष्टि रहे और ज्ञायक ही उसे भास्यमान हो, बाकी सब मुझसे भिन्न है। (राग) पर्यायमें है, लेकिन वह मेरे स्वभावसे भिन्न है। इसप्रकार जीवनमें ऐसी परिणति उतनी दृढ हो जानी चाहिये, जैसे एकत्वबुद्धिकी परिणति (चलती है), उससे भी... यह तो स्वयं ही है, उसे सहज हो जाना चाहिये, अन्दर तदगत परिणाम (होने चाहियि कि) ज्ञायक ही हूँ। ऐसा नहीं होता, ऐसा प्रयत्न नहीं चलता है।
जागते-सोते, स्वप्नमें, खाते-पीते, चलते-फिरते हर वक्त मैं ज्ञायक ही हूँ। ऐसी अन्दर परिणति दृढ होनी चाहिये। और ऐसा अभ्यास करते-करते जब उसे सहज हो जाये, तब उसे यथार्थ भेदज्ञान होकर अन्दर विकल्प छूटकर निर्विकल्प दशामें आगे बढे। तबतक जा नहीं सकता। उसके जीवनमें ऐसी एक परिणति दृढ हो जाये। उतना प्रतीतिका बल (आये), उतनी परिणति दृढ होनी चाहिये, तो होता है। ऐसा हुए बिना (नहीं होता)।
कितनोंको हो तो ऐसा अंतर्मुहूर्तमें ऐसा हो जाता है और नहीं हो तो लम्बे समय