Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

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ट्रेक-

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वर्षमें स्थानकवासी संप्रदायका परिवर्तन किया। ४५ वर्षकी उम्रमें।

मुमुक्षुः- उनका व्यवसाय क्या था?

समाधानः- पालेजमें उनके भाई चलाते थे। वे तो निर्लेप (रहते थे)। वे तो २४ वर्षकी उम्रमें निकल गये। किरानेका। पालेजमें व्यापार बहुत अच्छा चलता था।

मुमुक्षुः- आप कितने सालसे..

समाधानः- मैं तो १७ सालकी उम्रसे आती-जाती रहती थी। १९ वर्षकी उम्रसे परिचय (हुआ)। मेरी १९ सालकी उम्र थी।

मुमुक्षुः- तबसे आपको परिचय है। धन्य है आपको! इतनी छोटी उम्रसे आप उनके साथ रहकर..

समाधानः- .. अभी तो देवलोकमें हैं। लेकिन वे तो महापुरुष कोई अपूर्व पुरुष थे। उच्च आत्मा, मोक्षगामी। ... वह सब बाहरका है। बाकी उनकी आत्माकी बात, आत्मा ही अलग था।

मुमुक्षुः- परन्तु इस ओर मुडनेके लिये क्या करना?

समाधानः- आत्माको पहचाननेका प्रयत्न करना चाहिये। पहले तो यह संसार दुःखरूप है, आत्मामें ही सुख है, ऐसे अंतरमेंसे रुचि करनी चाहिये। फिर उसका विचार, वांचन सब (करना)। अन्दरसे जिज्ञासा करनी चाहिये। आत्मा अन्दर एक शाश्वत वस्तु है। उसे पहचाननेके लिये प्रयत्न करना चाहिये। यह शरीर भिन्न, आत्मा भिन्न, अन्दर विकल्प होते हैं वह नहीं, स्वयं सिद्ध भगवान जैसा है। लेकिन वह नक्की कब हो? स्वयं कुछ विचार करे, वांचन करे, सच्ची समझ करे तो समझमें आये ऐसा है।

..क्या है नक्की करना चाहिये, वांचन, विचार करना चाहिये। सत मार्ग क्या है, उसे खोजकर सत्य क्या है, यह नक्की करना। सत्य क्या है? और आत्मा क्या है? सत्य क्या है यह विचारसे नक्की करना चाहिये, तो आगे बढा जाय। उतनी जिज्ञासा होनी चाहिये न कि मुझे आत्माका करना है। आत्माका करना है, ऐसी लगनी लगी हो तो सत्य खोजनेको वैसा सत्संग ढूँढे, वैसे विचार करे, वांचन करे, सत्य कहनेवाले कौन है, उसे खोजनेके लिये कोई सत्यकी बात करते हो वहाँ उनका सत्संग करे तो होता है।

मुमुक्षुः- दिगंबर पंथका आचरण किया...

समाधानः- भेस तो पहनते थे, लेकिन वे स्वयं ब्रह्मचारी भेसमें रहते थे। एक मुहपत्ति छोडी, बाकी कुछ नहीं। कोई मुनि बनकर वस्त्र निकालकर दिगंबर (हो) वह अलग, कोई ब्रह्मचारी रहे, अनेक प्रकारसे रहते हैं, उसकी कोटि होती है। लाखों लोगोंको उन्होंने इस ओर मोडा। उनके भक्त वह उनके शिष्य हैं। बाकी उनके बाद कोई शिष्य