ट्रेक-
००५
२९
नहीं।
बाहरसे भगवानके मन्दिरमें जाये तो भगवानके द्वार पर जैसे टहेल लगाता है, ऐसे ज्ञायकके द्वार पर टहेल मारते ही रहना, थकना नहीं। चाहे जितना समय लगे लेकिन उसे छोडना नहीं।
मुमुक्षुः- कालके सामने नहीं देखना। समाधानः- कालके सामने नहीं देखना। उसका अभ्यास करनेसे उसे प्रगट हुए बिना रहे ही नहीं। स्वयं ही है, उसमें ही सब भरा है। उसकी प्रतीतिका जोर रखकर प्रयत्न करते ही रहना, थकना नहीं।
प्रशममूर्ति भगवती मातनो जय हो!
?? ?