३१४ विचार आये। वे स्वयं मानते थे, यह मालूम नहीं था।
मुमुक्षुः- बडी जिम्मेदारी।
समाधानः- जिम्मेदारी लेकर कहा था। देवोंका वैक्रियक शरीर, वह तो स्वयं विक्रिया करते हैं। जैसी विक्रिया करनी हो वैसी कर सकते हैं। उसका वर्णन तो.. देव तो ऊँची जातके वैक्रियक शरीर करे। नीचि जातके वैक्रियक नहीं करते, ऊंची जातके करे। भगवानकी भक्ति करे। एक देवके कितने रूप कर दे। देव यानी देव जैसे ही दूसरा रूप करे। सब जातके रूप न करे, ऊंची जातकी विक्रिया करे। अमुक जातिके देव होते हैं, वह देवकी विक्रिया करे। अमुक वाहन जातिके देव होते हैं, अनेक जातिके देव होते हैं।
भगवानके जन्माभिषेकके समय आते हैं, वह देव हाथीका रूप लेकर आता है। देव स्वयं ही ऐरावत हाथी होता है। कितनी सूंढ होती है। एक सूंढ पर कितने तालाब होते हैं। ऐसा हाथीका रूप लेकर कोई देव आता है। वाहन जातिके देव होते हैं। उस पर भगवानका अभिषेक करने जाते हैं। देव अनेक जातके रूप करते हैं।
मुमुक्षुः- तिर्यंच भी होते हैं?
समाधानः- तिर्यंच नहीं होते, तिर्यंच नहीं होते हैं, देव रूप करे, देव रूप करे। तिर्यंच नहीं होते। हाथी स्वयं देव है। तिर्यंच नहीं है, देव है। प्रतिन्द्र, सामानिक, वाहन जाति आदि अनेक जातिके देव होते हैं। ... देव होते हैं, अनेक जातके होते हैं। बहुत जातिके देव ऐसे होते हैं, वे ऐसे वाहन जातिके देवोंका रूप नहीं करते हैं। अमुक जातके देव होते हैं वह करते हैं। दिगंबर धर्म ही है। मुनि हाथमें आहार ले, दिगंबर धर्म ही चल रहा है। भगवान वहाँ विराजते हैं। मैं किसीको कुछ कहती नहीं, पूछते हैं तो थोडा (कहा)।
मुमुक्षुः- बात समझानेमें आये तो सबको ख्यालमें आये।
समाधानः- गुरुदेवके पास सबने बहुत सुना है। देवाधिदेव! यह तुझे कहाँसे आया? ऐसा बोले। उस दिन मालूम भी नहीं था, यह कहाँसे आया। तू ही देवनो देव, यह कहाँसे आया? स्थानकवासीमें तो यह था नहीं, यह कहाँसे आया? तू ही देवनो देव। तू भगवान है, ऐसा कहाँसे आया? छोटी उम्रमें कहाँसे आया? ऐसा बोलते हैं। तीर्थंकरका जीव... इतना ठोस स्वयंको ही था।
मुमुक्षुः- गुरुदेव वहाँ..
समाधानः- पाठ बोलनें यह क्या आया? ऐसा हुआ। अन्दर आत्माकी लगी थी न।
मुमुक्षुः- यह सब गुरुदेव मुमुक्षुके आगे उल्लाससे व्यक्त करते थे, उसके पीछे