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लोकमें ऐसा कोई गीत है, उस परसे बनाया है। पहले गुरुदेवके लिये गाया था। कहीं छपा भी था। कहीं पर छपा था। परन्तु ज्ञायकधाराको कोई दिक्कत नहीं आती। चाहे जैसे भाव बाहरमें दिखाई दे, तो भी।
मुमुक्षुः- बहुत .. लगता है।
समाधानः- एक विकल्परूप श्रद्धा अलग बात है और एक सहज परिणति अलग बात है। ज्ञायककी सहज परिणति वह अलग बात है। और विकल्प करके श्रद्धा रखे वह एक अलग बात है। परन्तु जबतक नहीं होता है, तबतक भावना और प्रयास मुमुक्षुको चालू रहता है।
मुमुक्षुः- जब विकल्परूप भाव बाहर जाए, तब अंतरमें भी परिणति वृद्धिगत होती होगी न?
समाधानः- परिणति वृद्धिगत... ज्ञायककी धारा, भेदज्ञानकी धारा चालू है। वृद्धिगत किस प्रकारकी, उसका अर्थ करना पडे।
ज्ञायक है, ज्ञानस्वभावका नाश नहीं हुआ है। ज्ञानस्वभाव तो उसका है ही। ज्ञायक ज्ञायकरूप तो परिणमित हो ही रहा है। ज्ञायक प्रगटरूपसे नहीं परिणमता है। लेकिन ज्ञायक ज्ञायकरूप है, परन्तु स्वयं भ्रान्तिमें पडा है। इसलिये लक्ष्य नहीं जाता। उसकी दृष्टि बाहर है। जो बाहरका दिखता है उसे अपना मानता है, स्वयंको भूल गया है। बाकी स्वयंका नाश नहीं हुआ है। स्वयं स्वयंरूप (ही है)। जो अनादिअनन्त है वह पारिणामिकभावरूप परिणमता ही है। परन्तु उसकी दृष्टि, स्वयं भ्रान्तिमें पडा है, इसलिये जाननेमें नहीं आता। बाकी जैसा है वैसा अनादिका है ही। अनादि जो उसका स्वभाव है उस स्वभावका नाश नहीं हुआ है और पारिणामिकभाव ऐसा है कि ज्ञायक ज्ञायकरूप, ज्ञान ज्ञानरूप (है)। स्वयं भगवान आत्मा स्वंयसे ही जाननेमें आ रहा है, परन्तु स्वयं भ्रान्तिमें पडा है, उसे देखता नहीं इसलिये जाननेमें नहीं आता। स्वयं देखता ही नहीं, इसलिये कहाँसे जाननेमें आये? और दृष्टि बाहर है, परकी श्रद्धा कर रहा है, पर- ओरका ज्ञान कर रहा है। सब परकी ओर कर रहा है।
श्रद्धा, ज्ञान, आचरण सब बाहरका कर रहा है। पर पदार्थको अपना मान रहा है। विभाव परिणति होती है, वह सब मेरेमें हो रही है। दृष्टिकी दिशा पलट गयी है। इसलिये स्वयं स्वयंको देखता नहीं। स्वयं है, फिर भी उसे देखता नहीं और भ्रान्तिमें पडा है। दृष्टि बाहर है, इसलिये जाननेमें नहीं आ सकता। स्वयं होने पर भी स्वयं स्वयंको देखता नहीं, यह एक आश्चर्यकी बात है। दृष्टि ऐसे (बाहर) है।
गुरुदेव दृष्टांत देते थे, ऐसे बाहरसे गिने कि एक, दो, तीन, चार, स्वयंको गिनना भूल जाय। स्वयं स्वयंरूप ही है। स्वयं स्वयंको जाननेमें आ रहा है, परन्तु स्वयं स्वयंको