Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

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अमृत वाणी (भाग-२)

३७२ गुरुदेवना जय नाद बोलो। संगीत स्वर्गमांथी लावजो ने अहीं गाजो.. आवजो ग्रंथाधिपति... गुरुदेवना गुणगानमां आवजो..' गुरुदेवके पधारनेसे पहले वहाँ स्वाध्याय मन्दिरमें जा-जाकर गाते थे।

मुमुक्षुः- माताजी! आपको भक्तिमें तो पहलेसे.. छोटी उम्र थी इसलिये कितना उत्साह होगा और कैसा गवाते होंगे।

समाधानः- सभी बहनें गाती थी।

मुमुक्षुः- पुस्तक भी देखिये न छोटी छपवायी थी।

समाधानः- मन्दिर हुआ न, उसके बाद भक्तिका प्रोग्राम हुआ। रोज भक्ति करवाकर, सब गाये। उसके पहले भक्तिका प्रोग्राम (नहीं था)। मैं गाऊँ और सब गाये, ऐसा प्रोग्राम नहीं था। भाव आये और गाने लगे। कितनी बहने साथमें गाती थी। भगवान पधारे उसके बाद भक्तिका प्रोग्राम हुआ। व्याख्यान सुनने जाते। उसके बाद निवृत्ति। समय हो तब शास्त्र पढती थी, ध्यान करती थी। वह प्रोग्राम। मन्दिर नहीं था, इसलिये दर्शन आदि कुछ नहीं था। इसलिये गुरुदेवका दो वक्तका प्रवचन सुनकर, बादमें ध्यान और ज्ञानमें। बस। उसमें रहना था। वांचन और ध्यान। बहनोंके बीच वांचन करती थी। दूसरे कोई प्रोग्राम नहीं थे।

मुमुक्षुः- वांचन उस समयसे शुरू हो गया था?

समाधानः- बहनोंमे। लेकिन बहने कितनी थी, थोडी बहने थी। वहाँ एक कमरा है उसमें आ जाते थे। लाठीना उतारामें थोडे घर थे और थोडे आगे-पीछे थे। समिति और बाकी सब उसके बाद हुआ। इस ओरके सब घर बादमें हुए। एक लाठीनो उतारो, वडानो उतारो, दोनों जगह थे। कोई-कोई गाँवमें हो। दूसरा कोई नहीं था।

मुमुक्षुः- उसके बाद फिर सीधे स्वाध्याय मन्दिरमें आये।

समाधानः- वहाँसे सीधे स्वाध्याय मन्दिर। बीचमें पूरा जंगल था। सब खेत थे। पूरा जंगल और एक स्वाध्याय मंदिर। उसके पीछे सेनिटोरियम था।

मुमुक्षुः- एकदम अंधेरा.. समाधानः- लालटेन थे। लालटेनमें पढना, करना आदि। लालटेन थे। मुमुक्षुः- वडाना उतारामें... समाधानः- हाँ, वडाना उतारामें रसोईघर था। गुरुदेवका फोटो रखते थे और घरपर भक्तिका प्रोग्राम शुरु किया था। ऐसा किया था। ऐसे किया था। स्वाध्याय मन्दिरके समय वहाँ फोटो, समयसारकी स्थापना। वहाँ जाकर भक्ति करते थे। ऐसे करते थे।

प्रशममूर्ति भगवती मातनो जय हो! माताजीनी अमृत वाणीनो जय हो!