०६२
इसलिये आत्मा कौन है? आत्मा शाश्वत नित्य है। उसे विचार करके, वांचन करके नक्की करना। जो-जो विकल्प आये, उस विकल्पसे भी मैं भिन्न हूँ। मैं तो सिद्ध भगवान जैसा आत्मा हूँ। मैं आत्मा जाननेवाला ज्ञायक। उसकी महिमा करनी। बारंबार उसे याद करना। जो ज्ञानलक्षण है वह मैं हूँ। जाननेवाला है वह मैं हूँ, इसके सिवा दूसरा कुछ मेरा नहीं है। मैं सबसे भिन्न हूँ। अन्दर विकल्प आये वह भी मेरा स्वरूप नहीं है। मैं सबसे भिन्न हूँ। इसलिये उस विकल्पसे भी भिन्न होनेका प्रयत्न करे और मैं तो जाननेवाला, जाननेवाला हूँ। जाननेवाला है वह रूखा जाननेवाला नहीं है, परन्तु अन्दर महिमासे भरा है। वह भले ही स्वयंको दिखता नहीं हो, परन्तु अन्दर आनन्द, शांति आदि अनन्त गुण भरे हैं। ऐसा जाननेवाला स्वयं ज्ञायकदेव है। दिव्य स्वरूपसे भरा है। उसे जाननेके लिये वांचन करना, समझमें आये ऐसे पुस्तक पढना। गुरुदेवके प्रवचन (पढना)। जिसमें जो समझमें आये, जिसमेंं आत्माकी बात आती हो, ऐसे शास्त्र पढने, विचारना, बारंबार।
विचार आये इसलिये मन वहाँ लगता है, इसलिये शांति मिलती है। अन्दर आत्मा कैसे पहचानूँ? उसका विचार करते रहना। पूरा दिन उसीका विचार करते रहना, उसकी लगनी लगानी, उसकी जिज्ञासा करनी। बस, उसे मन लगा देना। यह सब बाहरका है, वह सब तो तुच्छ है। मनुष्य जीवनमें सारभूत कुछ हो तो एक आत्मा ही है। उस आत्माको पहचाननेके लिये प्रयत्न करना। विचार, वांचन करके।
मुमुक्षुः- किसीका दुःख मुझसे बर्दाश्त नहीं हो इतना दुःख मुझे होता है, इतना तीव्र दुःख मुझे होता है कि मेरे जीवको कहीं चैन पडे, उसे भूलानेके लिये.. किसीको पहचानती नहीं हो, परन्तु किसीका दुःख हो तो मुझे इतना तीव्र दुःख होता है कि..
समाधानः- स्वयं कुछ कर नहीं सकता। स्वयंको दुःख हो, लेकिन स्वयं कुछ कर सकता तो नहीं। कर सकता नहीं। उसे दया आये, दुःख हो, वह ठीक है। उसकी मर्यादा होनी चाहिये। बेहद दुःख करनेसे स्वयं कुछ कर तो नहीं सकता। बल्कि स्वयंको नुकसान होता है। अपने दिमाग पर असर होती है। उलटा स्वयंको नुकसान होता है। इसलिये विचार करना कि मैं कुछ कर नहीं सकता। दुःख होता है उतना है। मैं तो जाननेवाला आत्मा ज्ञायक हूँ। ऐसा दुःख किसीको न हो। ऐसे दुःखसे मैं कैसे छूट जाऊँ, उसका विचार करना।
यह जीव स्वयं दुःखमें पडा है। ऐसा दुःख किसीको न हो और यर जीव स्वयं दुःखमें पडा है। इस दुःखसे मैं कैसे छूटु? उसका प्रयत्न करे। यह दुःख आत्मामें नहीं है। मैं कुछ नहीं कर सकता। तो उसकी मर्याेदा होनी चाहिये। मैं जाननेवाला हूँ। मैं कुछ कर नहीं सकता। क्या हो? जो बननेवाला होता है वह बनता है, मैं तो कुछ