Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

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अमृत वाणी (भाग-२)

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समाधानः- अवधिज्ञान तो प्रत्यक्ष है, फिर भी जातिस्मरण होता है। भगवानको तो सब ज्ञान प्रगट होते हैं।

मुमुक्षुः- माताजी! समकित ज्यादा साल टिके तो गाढ होता जाता है। वैसा जातिस्मरणज्ञान ज्यादा साल टिके तो उसमें कोई फेरफार होता है?

समाधानः- सम्यग्दर्शन ज्यादा साल टिके तो गाढ होता जाता है, वह तो उसकी परिणति दृढ होती है, वह अपने कारणसे होती है। वैसे जातिस्मरण दृढ होता जाता है, वह सब अपने कारणसे होता है। जातिस्मरणके कारणसे वह होता है, ऐसा नहीं है, परन्तु अपने पुरुषार्थके कारणसे होता है। सम्यग्दर्शन ज्यादा साल टिकता है वह अपने कारणसे बनता है।

मुमुक्षुः- जातिस्मरणके टिकनेमें भी पुरुषार्थ है?

समाधानः- सबमें पुरुषार्थ तो होता ही है। प्रयत्नसे नहीं होता, सहज होता है।

मुमुक्षुः- जातिस्मरणमें वृद्धि होती है? उसमें वृद्धि कैसे होती है?

समाधानः- निर्मल परिणतिके कारणसे होती है। कैसे होता है, वह तो सहज है। मतिकी निर्मलतासे होती है।

मुमुक्षुः- एक बार याद तो आ गया है, फिर उसमें वृद्धि हो, वह कैसे?

समाधानः- मतिकी निर्मलतासे होती है।

मुमुक्षुः- अधिक स्पष्टतापूर्वक याद आता है?

समाधानः- वह सब मतिकी निर्मलताके (कारण होता है)। स्वयं आत्माकी साधना साधता-साधता जो जीव आगे बढता है, उसमें कोई भी परिणतिकी निर्मलता बढने पर होता है। स्वरूपमें लीनता करते-करते कोई परिणतिकी निर्मलता हो तो उस निर्मलतासे होता है।

मुमुक्षुः- जिसे पूर्व भवका जातिस्मरणज्ञान हो, उसे बीचमें इस जन्मसे पहलेके .. कोई स्मरण होता है? क्योंकि श्रीमदमें ऐसा आता है, इस जीवको पूर्व भवकी मरणकी वेदना अधिक हो या गर्भकी वेदना हो तो उस वेदनाका वेदन करे तो उसमें उसे पूर्व भवका स्मरण हो जाता है। सब जीवोंको ..

समाधानः- .. किसीको विस्मरण हो जाता है। फिर भी संज्ञी जीव है, मन है तो उसे याद आवे। मृत्यु समयके दुःखके कारण विस्मरण हो जाता है। विस्मरण भी हो जाता है और याद भी आये। संज्ञी जीव है उसे याद आये।

मुमुक्षुः- पूर्व भवके साथ इस जन्मके गर्भके दुःख भी याद आये?

समाधानः- उस प्रकारकी परिणति हो तो याद आये। याद आवे ही ऐसा नक्की नहीं होता। जिस जातकी उसकी परिणति जहाँ जाये वैसे याद आये। उसकी परिणति