ट्रेक-
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नहीं है, रहनेका स्थान नहीं है। तू ज्ञायक है, भगवान परमात्मा है। ऐसा गुरुदेव बारंबार कहते थे। वह उसे ग्रहण करे तो सम्यग्दर्शन प्राप्त होता है। गुरुदेवने जो उपदेश दिया है, उस उपदेशको स्वयं ग्रहण करे, भेदज्ञान करे तो सम्यग्दर्शन होता है, तो भवका अभाव होता है।
प्रशममूर्ति भगवती मातनो जय हो! माताजीनी अमृत वाणीनो जय हो!
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