ट्रेक-
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पर, ऐसा हो गया है। श्रद्धा बदल दे। आत्माका ज्ञानलक्षण पहचान ले, तो उसमें पलट सकता है। नहीं होता है ऐसा नहीं है। अपना ही स्वभाव है। बाहरका अवलम्नब लेनेवाला स्वयं ही, निरालंब होनेवाला स्वयं ही है। निरालंबन स्वभाव ही स्वयंका है।
मुमुक्षुः- अतीन्द्रियज्ञान नहीं है फिर भी इन्द्रियज्ञानसे भी वह.. समाधानः- हाँ, भले इन्द्रिज्ञान हो, स्वयं स्वकी ओर मुड सकता है।
प्रशममूर्ति भगवती मातनो जय हो! माताजीनी अमृत वाणीनो जय हो!
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