Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 435 of 1906

 

अमृत वाणी (भाग-३)

अस्तित्वगुण, एक अस्तित्व, चैतन्यरूप मेरा अस्तित्व है। यह जड है, मेरा अस्तित्व नहीं है। मैं तो सत स्वरूप, आनन्द स्वरूप (हूँ)। आनन्द गुण है, परन्तु सत एक वस्तु है। उस वस्तुकी महत्ता है। वस्तु है, पहले वस्तु है तो कैसी है? ज्ञान और आनन्दसे भरी है। ज्ञान और आनन्द किसमें है? सतमें है। सत-मैं एक आत्मा हूँ। अपना अस्तित्व ग्रहण करनेका है। यह जड मैं नहीं हूँ। मैं हूँ। मैं एक अस्तित्वस्वरूप वस्तु हूँ। अस्तित्वमें एक गुण नहीं लेना, पूरा पदार्थ उसमें आ जाता है। सतरूप वस्तु है, उसमें पूरा पदार्थ आ जाता है। और वह पदार्थ कैसा है? कि ज्ञान और आनन्दादि अनन्त गुणोंसे भरा है। अस्तित्वकी महिमा है।

पहले इस प्रकार ग्रहण करे कि मैं एक अस्तित्व-मेरी हयाती है। मैं एक सतस्वरूप आत्मा हूँ। सत कैसा है? सतमें सब (आ जाता है)। ज्ञानरूप मेरा अस्तित्व है, आनन्दरूप अस्तित्व है, मेरा अनन्त गुणरूप अस्तित्व है। मेरे अस्तित्व कैसा है? ज्ञान और आनन्दसे भरपूर मेरा अस्तित्व है। इस प्रकार गुण और द्रव्य सब उसमें साथमें आ जाता है, एक सतको ग्रहण करने पर।

मुमुक्षुः- हम लोग क्या कहते हैं, आनन्द .. अनुभूति है, वेदन है, इसलिये उसमें बहुत भाव भरा हो ऐसा लगता है। वैसे सतमें भाव नहीं दिखाई देता।

समाधानः- वह तो एक वेदन है। आनन्द है वह वेदन है, इसलिये भावसे भरा है। ज्ञानमें जाननेका गुण है, इसलिये वह भावसे भरा दिखता है। परन्तु अस्तित्व है वह टिकनेवाली वस्तु है। जो वस्तु टिकती ही नहीं,.. जो टिकनेवाली वस्तु अनादिअनन्त शाश्वत है, जो शाश्वत वस्तु ही नहीं है तो ज्ञान और आनन्द रहेेंगे किसमें? तो वेदन किसमें होगा? एक वस्तु टिकती है तो उसमें ज्ञान और आनन्द है। टिकनेवाली वस्तु ही नहीं है तो ज्ञान और आनन्द किसमें रहेंगे?

मुमुक्षुः- इसलिये शुरूआत ही वहाँसे होती है?

समाधानः- वहाँसे-अस्तित्वसे होता है। अग्नि है वह अग्नि है, पानी है वह पानी है। परन्तु अग्नि और पानी। उसमें शीतल गुण है, उसमें उष्ण गुण है। उसके गुणसे पकडमें आता है कि उष्ण है वह अग्नि है और शीतल है वह पानी है। वैसे आत्मा ज्ञान ज्ञायकस्वरूप जो ज्ञायक है, जिसने ज्ञायकका अस्तित्व धारण किया है वह आत्मा है और जो जानता नहीं है वह जड है। वह गुणके द्वारा पकडमें आता है, परन्तु उसका अस्तित्व है तो पकडमें आता है। अस्तित्वके बिना जो द्रव्य ही नहीं, जो ध्रुव ही नहीं है, बिना ध्रुवके गुण कहाँ रहेंगे? ध्रुव स्वयं वस्तु है।

मुमुक्षुः- ..

समाधानः- अस्तित्वगुणके कारण वस्तुकी हयाती है। अस्तित्व नहीं है तो गुण